शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव
कानपुर में हुए चर्चित बिकरू कांड के बाद हुई सरकारी कार्रवाई से क्षुब्ध ब्राह्मण उन दिनों बीजेपी सरकार से खासे नाराज थे। उनकी नाराजगी का आलम ये था कि बीजेपी आलाकमान तक को ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए एक कमेटी बनानी पड़ी थी। जिसका संयोजक पूर्वाञ्चल के चर्चित ब्राह्मण चेहरा शिवप्रताप शुक्ल को बनाया गया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में पार्टी की रिकार्ड जीत हुई थी। लेकिन आज प्रदेश की सरकार का एक ब्राह्मण नेता ही बीजेपी का संकटमोचक बना हुआ है। सरकार को कटघरे में खड़ी करने वाले कई मौकों पर इस नेता ने सरकार और पार्टी को संकट से उबारने का काम किया है। इस नेता का नाम है बृजेश पाठक। जो इस समय सरकार में उपमुख्यमंत्री है।
हालिया मामला कानपुर का है जहां हुई ह्रदय विदारक घटना में अधिकारियों और व्यवस्था पर जिस तरह से सवाल उठाए गए उससे लखनऊ से लेकर दिल्ली तक न सिर्फ सियासी हंगामा बरपा, बल्कि सरकार और संगठन के लिए स्थितियाँ विपरीत हो गईं। ऐसे में पूर्व के कई मौकों की भांति बृजेश पाठक ने फिर मोर्चा संभाला। नतीजतन नाराज परिजन मृतकों का दाह संस्कार करने को राजी हो गए। प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर संकटमोचक बृजेश पाठक की शैली पर चर्चा होने लगी। सियासत के जानकारों का मानना है कि श्री पाठक विपरीत परिस्थितियों में उपजे हालात का क्राइसिस मैनेजमेंट करने में माहिर है। हालांकि बृजेश अपने को इससे इतर भाजपा संगठन का एक कर्मठ और सच्चा सिपाही ही बताते हैं।
सियासत के जानकारों का मानना है कि सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में बीते कुछ सालों में हुई कई बड़ी घटनाओं के दौरान संकटमोचक नेता की तरह सरकार की छवि बचाने के तौर पर इनका नाम उभरा। 2017 में हुए रायबरेली में पांच लोगों की मौत का मामला हो या लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र की गाड़ी से कुचल कर मरे किसानों के चलते हुए विवाद का मामला हो। लखनऊ में आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल के मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या का मामला हो या हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की मौत का मामला। सियासी जानकारों का कहना है कि बृजेश पाठक इन सभी मामलों में न सिर्फ मौके पर पहुंचे, बल्कि बहुत हद तक बिगड़े हुए माहौल को दुरुस्त करने की न सिर्फ कोशिश की बल्कि उसे संभाला भी।
2018 में आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल के मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड में तो बृजेश पाठक में अपनी सरकार की पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था। इस मामले में भीड़ ने तत्कालीन मंत्री-विधायक तक को हस्तक्षेप नहीं करने दिया। पूर्व में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष होने के नाते बृजेश पाठक का लोकल कनेक्ट बहुत गहरा है। यही वजह है कि जब-जब इस तरीके के कोई संकट आते हैं तो बृजेश पाठक को आगे किया जाता है और बृजेश पाठक क्राइसिस मैनेजमेंट के स्तर पर संकटमोचक की भूमिका बखूबी अंजाम भी देते हैं। श्री पाठक की मुताबिक कानपुर मामले में भी मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आगे पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी कड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।