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बिना पद के बढ़ा कद, शिवपाल के घर लगने लगा जमावड़ा

By Shakti Prakash Shrivastva on December 15, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में रिपोर्ट सुनने के लिए आडियो बटन पर क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

नए-नए पूरी तरह सपाई हुए शिवपाल यादव को हालांकि अभी समाजवादी पार्टी में कोई पद नही मिला है। लेकिन जिस तरह मैनपुरी उपचुनाव के दौरान उनकी पार्टी में दिल से वापसी हुई है और उसके बाद उनके विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर से डिम्पल यादव की जबर्दस्त वोटों की लीड मिली है। सपा में शिवपाल यादव का कद बिना पद के भी कई गुना बढ़ गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है लखनऊ में उनके यहाँ इन दिनों कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगने लगा है। कार्यकर्ताओं की इस भीड़ में सर्वाधिक संख्या उन लोगों की है जो निकट भविष्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में किसी न किसी पद पर प्रत्याशिता करना चाह रहे हैं। हालांकि राजनीतिक पंडितों की मुताबिक अखिलेश के लखनऊ वापसी पर शिवपाल को उनका वाजिब पद रूपी गिफ्ट जिसके वो हकदार हैं दिया जाएगा।

2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक भविष्य को लेकर नेताजी मुलायम सिंह यादव कुनबे में मची आंतरिक घमासान का शिकार हुए शिवपाल यादव ने बाद में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच दूरी-नजदीकी फिर दूरी वाले खेल इस दौरान लगातार चलते रहे। नेताजी मुलायम सिंह बीच-बीच में मध्यस्थ की भूमिका अदा करते रहे। लेकिन पिछले 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल के रूप में न केवल शिवपाल की पार्टी ने चुनाव लड़ा बल्कि शिवपाल समझौते के तहत समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप मे जसवंतनगर सीट से चुनाव भी लड़े और जीते भी। बाद में राजनीतिक महात्वाकांक्षा ने उन्हे फिर से अखिलेश से दूर कर दिया। इस बार शिवपाल ने दुबारा अखिलेश से नजदीकी न करने का ऐलान करते हुए अपनी पार्टी प्रसपा को बढ़ाने पर ध्यान देने का निर्णय लिया। लेकिन नेताजी के निधन के बाद उनकी रिक्त हुई मैनपुरी सीट से बहू डिम्पल के चुनाव लड़ने के वक्त डिम्पल के सशर्त अनुरोध पर शिवपाल न केवल पार्टी में वापस आए बल्कि डिम्पल को रिकार्ड मतों से विजयी होने में मुख्य सहायक भी साबित हुए। वजह जो भी हो पहली बार भतीजे अखिलेश से दिल से मिले शिवपाल। परिणाम स्वरूप अपनी पार्टी का सपा में विलय भी कर दिया साथ ही घोषणा कर दी कि अब आगे की उनकी राजनीति अखिलेश की सरपरस्ती में ही होगी। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी कि शिवपाल को पार्टी में कोई अहम पद रिटर्न गिफ्ट के रूप में दिया जाएगा। लेकिन अखिलेश के लखनऊ से बाहर होने की वजह से अभी ऐसा संभव नही हो पाया है। लेकिन उनके पार्टी में खासकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दिये जा रहे महत्व को देखते हुए कार्यकर्ताओं ने शिवपाल से उम्मीद पालनी शुरू कर दिया है।

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