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March 21, 2025
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पासी नहीं पंडितजी दिलाएंगे जीत!

By Shakti Prakash Shrivastva on January 24, 2025
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                                                                                     शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

विधानसभा या लोकसभा के चुनावों में इलाकाई जातीय समीकरणों का खासा महत्व होता है। क्योंकि ये समीकरण वहाँ के जीत-हार में अहम भूमिका अदा करते हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव को ही देखें यहाँ मुख्य सियासी दलों ने अपना फोकस दलित खासकर उसकी उपजाति पासी पर केंद्रित कर रखा है। उन्हे यकीन है कि इस समाज का मतदाता ही उसकी चुनावी वैतरणी पार कराने में समर्थ है। इसी वजह से यहाँ चुनावी रण के मुख्य प्रतिद्वंदी दलों सपा और बीजेपी ने अपना उम्मीदवार पासी समाज से ही चुना है। जबकि इस सुरक्षित सीट पर पासी मतदाताओं की तुलना में ब्राहमण मतदाताओं की संखया अधिक है। और मुख्य प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों के एक ही समाज से होने की वजह से उनके मतों में विभाजन होना तय है। ऐसी स्थिति में ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका यहाँ निर्णायक हो गई है। यहाँ की जीत का पूरा दारोमदार अब इन्ही मतदाताओं के समर्थन तक सिमट गया है। जिस उम्मीदवार की तरफ यहाँ का ब्राह्मण मतदाता जाएगा परिणाम उसी के पक्ष में होगा।

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख सत्तर हजार आठ सौ उन्तीस मतदाता हैं। इनमें एक लाख बानबे हजार नौ सौ चौरासी पुरुष और एक लाख सतहत्तर हजार आठ सौ अणतीस महिला मतदाता हैं। इनमें साठ हजार ब्राहण, पचपन हजार पासी, पचपन हजार यादव, तीस हजार मुस्लिम और पच्चीस हजार ठाकुर मतदाता अधिक प्रभावी है। इस विधानसभा सीट से 2022 के चुनाव में पासी समाज से आने वाले अवधेश प्रसाद सपा के उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुए थे। बाद में हुए लोकसभा चुनाव में वे अयोध्या संसदीय सीट सपा के सांसद चुन लिए गए। इनके सांसद बनने से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर उपचुनाव भी पिछले दिनों हुए नौ विधानसभा सीटों के साथ ही होना था। लेकिन कोर्ट में विवाद लंबित होने के चलते उस समय न होकर अब हो रहा है। सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है जबकि बीजेपी ने पासी समाज के ही चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने गठबंधन धर्म के चलते और बीएसपी ने अपनी नीतियों के चलते यहाँ अपना उम्मीदवार नहीं दिया है। चुनाव को त्रिकोणीय करने में प्रयासरत सपा के बागी और आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार सूरज चौधरी एड़ी-चोटी लगाए हुए है।

प्रदेश की सियासी तस्वीर का विश्लेषण करने वालों का मानना है कि यहाँ ठाकुर मतदाता तो बीजेपी के साथ पूरी तरह से है जबकि ब्राह्मण मतदाता फिलहाल सपा और बीजेपी दोनों में ही बंटा हुआ है। ऐसे में अगर सपा और बीजेपी के पासी उम्मीदवारों में पासी वोट बंटा तो फिर परिणाम की समूची बागडोर ब्राहमण मतदाताओं के हाथों आ जाएगी। ऐसे में यहाँ के जिस उम्मीदवार के पक्ष में ब्राह्मणों मतदाताओं का रुझान हुआ जीत का सेहरा उसी के माथे बधना तय लगता है।

 

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