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December 9, 2024
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…कमतर नहीं आध्यात्म का असर!

By Shakti Prakash Shrivastva on September 20, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

भारत भूमि सही मायने में देव स्थली है। यहाँ के जर्रे-जर्रे में आध्यात्मिक चेतना से अभिभूत आस्थावान लोग रहते हैं। दुनियाँ में जहां विज्ञान ने अंतरिक्ष से लगायत धरती के भीतर तक अपनी दखल बना रखी है। वही दूसरी तरफ आध्यात्मिक आस्थागत संस्कार भी गहरी पैठ बनाए हुए है। आज भी यहाँ अपने कष्ट निवारण के लिए चिकित्सक के साथ-साथ मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे और चर्च के दरवाजे खटखटाए जाते हैं। इस विशिष्ट आध्यात्मिक चेतना का प्रभाव आदि काल से रहा है, वर्तमान में है और आगे भी रहेगा। एक उदाहरण के तौर पर ट्रेनों में आरक्षण की स्थिति के जरिए इस सच को बखूबी समझा जा सकता है। दिवाली और छठ जैसा त्योहार नजदीक आ रहैं है। मान्यता के अनुसार जहां दिवाली पर अपने पुश्तैनी घर पर पूजन-अर्चन का चलन है वही छठ में अपनी समृद्धि और जीवन की मंगलकामना के लिए छठ मैया की पूजा-अर्चना का विधान है। इसके लिए दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में रह रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के निवासियों के लिए ट्रेन एक बेहतर आवागमन का साधन है। इसलिए हर कोई पहले ट्रेन मे कनफर्म टिकट का प्रयास करता है। इसके चलते दिल्ली से बिहार जाने वाली अधिकांश ट्रेनों में आरक्षित सीटों की प्रतीक्षा सूची 100 के पार पहुंच चुकी है।

पूजा के लिए टिकट की यह मारामारी यह बताने के लिए काफी है कि आज भी देश में धर्म और आध्यात्म को लेकर आमजन की प्राथमिकता क्या है। लोगों का पूजा को लेकर समर्पण इस कदर है कि वो हर हाल में इसके लिए अपने गाँव पहुँच जाना चाहटे है। इन दिनों दिल्ली-बिहार मार्ग पर बिहार, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में जगह नहीं है। बल्कि ये कह सकते है कि इनमे नो रूम की स्थिति है। बिहार जाने वाली पूर्वा एक्सप्रेस, गरीब रथ, कैफियात एक्सप्रेस, वैशाली एक्सप्रेस, लिच्छवी, नार्थ ईस्ट, आम्रपाली एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस, महानंदा एक्सप्रेस, सीमांचल, मगध, महाबोधि एक्सप्रेस आदि ट्रेनों में टिकट की सर्वाधिक मांग है। कन्फर्म टिकट न मिलने से यात्रियों की निगाहें अब तत्काल टिकट पर लगी हैं।

उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह के अनुसार दिवाली व छठ के त्योहार को लेकर यात्री रिजर्वेशन करा रहे हैं। ट्रेन में 24 घंटे पहले ही तत्काल टिकट की बुकिंग शुरू होती है। नो रूम के चलते तत्काल टिकट मिलने की संभावना भी बेहद कम है। रेल प्रशासन यात्रियों की भीड़ को देखते हुए त्योहारों के मद्देनजर विशेष ट्रेन रूटों पर कुछ अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन करने की योजना बना रही है। ट्रेनों में यह स्थिति यह एहसास कराती है कि देश में कमतर नहीं है आध्यात्म का असर।

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