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January 14, 2025
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बिखर सकता है कांग्रेस-सपा गठबंधन !

By Shakti Prakash Shrivastva on August 5, 2024
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                                                                              शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

यूँ तो लोकसभा चुनाव के पहले से ही एक दूसरे पर भरोसा कर आइएनडीआइए गठबंधन में नजदीक आ चुकी है कांग्रेस और समाजवादी पार्टी। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश ने इनके गठमाला की गांठ को और मजबूत भी कर दिया है। दोनों ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लोकसभा परिणाम से खासे उत्साहित है। यहाँ तक कि संसद के मानसून सत्र के दौरान जिस तरह सत्ताधारी सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर किए गए टिप्पणी पर सपा नेता अखिलेश यादव ने तेवर दिखाए उसने दोनों दलों के आपसी संबंध को और मधुर करने में सोने पे सुहागा सरीखा काम किया है। लेकिन बदलते सियासी समीकरणों के चलते कुछ ऐसे सियासी कारण भी कभी-कभी नजर आ रहे है जिसकी वजह से ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव आते-आते इनकी गठमाला कहीं टूट न जाए।

वैसे भी सियासत के बारे में कहा ही जाता है कि इसमे न किसी की दोस्ती स्थायी होती है और न ही दुश्मनी। सियासत के रिश्ते की बुनियाद होती है उससे होने वाला सियासी नफा-नुकसान। विपक्षी दलों के गठजोड़ आइएनडीआइए के बनने के बाद हुए कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान खासकर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुए टिकट वितरण और समाजवादी पार्टी की हुई उपेक्षा से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इतने आहत हो गए थे कि उन्हे यहाँ तक कहना पड़ा था कि इस चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस जो व्यवहार कर रही है यही व्यवहार उसके साथ सपा उत्तर प्रदेश के चुनाव में करेगी। बात आई गई खत्म हो गई। ऐसे ही प्रदेश के घोसी विधानसभा के उपचुनाव में भी दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच खासी तल्खी देखी गई थी। लेकिन बाद में बीजेपी के खौफ ने इन दोनों को एक-दूसरे के नजदीक आने को मजबूर कर दिया। न चाहते हुए भी ये दोनों एकसाथ रहे और लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में संयम के साथ एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखा। सियासी गलियारे में पूर्व में विधानसभा चुनाव के दौरान हुए गठजोड़ और उनके परिणाम को देखते हुए इस गठजोड़ का बहुत बेहतर भविष्य की उम्मीद नहीं की गई थी। लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो वो खासा चौंकाने वाला साबित हुआ। रिकार्डतोड़ 37 सीटों के साथ समाजवादी पार्टी देश की तीसरी बड़ी पार्टी बनने में सफल हो गई। फिर क्या था दोनों दलों के नेताओं ने एकदूसरे दल के नेताओं के जमकर मौके-मौके पर कसीदे पढ़ने शुरू हो गए। लेकिन अब जबकि सपा को कहीं न कही यह एहसास हो रहा है कि उसकी बैसाखी से कहीं कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक को हासिल करने में कामयाब हो गई तो फिर सपा का क्या होगा। कांग्रेस ने भी कुछ ऐसी चालें चली है जो सपा के इस भय को पुख्ता करते नजर आ रही है। जैसे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने लोकसभा में अपनी जीत का सारा श्रेय अपने पीडीए यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक नीति को दिया। लेकिन अब उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी भी उसी की रह पर चलते दिख रही है। कांग्रेस ने अपने नए सियासी एजेंडे में सबसे ऊपर कमोबेश सपा वाले इसी फार्मूले पर अपना भी ध्यान केंद्रित कर रही है। बीते दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वंचितों के हक की लड़ाई कांग्रेस ही लड़ रही है। सदन में राहुल गांधी निरंतर दलितों, अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ों की आवाज उठा रहे हैं।उन्होंने कहा कि पार्टी प्रदेश के हर जिले में गरीबों के हक के लिए सड़क पर उतर कर संघर्ष करेगी। वे लखनऊ में रविवार को पार्टी कार्यालय में हुए सदस्यता ग्रहण समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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