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January 16, 2025
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उल्टा पड़ सकता है नीतीश का दाँव !

By Shakti Prakash Shrivastva on October 4, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                           बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट क्या आ गई सियासी गलियारों में मानों तूफान आ गया हो। सभी दल इस रिपोर्ट के आने से होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं। नीतीश सरकार ने जो जातिगत जनगणना कराई है उसमें मिले आंकड़ों की मुताबिक बिहार में पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 64 प्रतिशत के करीब बताई गई है। समाज के इस बड़े तबके को साधने या ये कहें अपने साथ लाने की कवायद सिर्फ इसलिए की गई है कि इससे ये तबका आनेवाले लोकसभा चुनाव में नवगठित आई एन डी आई ए गठबंधन के पक्ष में खड़ा हो सके। ऐसी स्थिति बनने पर गठबंधन सत्तारूढ़ एन डी ए गठबंधन को पटखनी देने में समर्थ हो सकेगा। लेकिन ऐसा प्रयास करने वाले शायद यह भूल रहे हैं कि सोशल मीडिया से जागरूक रहने वाला आज का मतदाता यह भी जानता है कि जो आज यह जनगणना की गई है वो पिछले 32 सालों में क्यूँ नही की गई। जबकि इन दिनों में लालू यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार सरीखे इन्ही अलंबरदारों के हाथों में सत्ता की कमान रही। जातिगत जनगणना के जिन बातों को ये नेता आज फक्र से गिना रहे है वो पिछले तीन दशक में क्यों नहीं गिनाए। ऐसे में जितनी संभावनाएं इसके फायदे की व्यक्त की जा रही है यदि बाजी पलटी तो दाँव भी उल्टा साबित हो सकता है नीतीश का। मतलब साफ है कि इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

दूसरी तरफ पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को काफी हद तक अपने साथ जोड़ने में पिछले एक दशक से कामयाब रही सत्तारूढ़ बीजेपी को इस बात की चिंता सताने लगी है कि वो बदली परिस्थितियों में अपने इन मतदाताओं को कैसे न केवल नवगठित विपक्षी गठबंधन से दूर रखे बल्कि अपने साथ बनाए भी रख सके। उसे इस बात की भी चिंता सता रही है कि यदि अपने साथ लगातार बने रहे इन मतदाताओं का एक धड़ा भी जातिगत जनगणना के जाल में फंस कर हमसे दूर हो गया तो हमें लोकसभा चुनाव में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस स्थिति की कल्पना करने के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की जनसभा में यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के बयान का पुराना मुद्दा दुहराते हुए न केवल उन्हे कटघरे में करने का प्रयास किया बल्कि कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि कल से कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है। ये कहते हैं- जितनी आबादी, उतना हक। मैं कहता हूं इस देश में सबसे बड़ी कोई आबादी तो गरीबों की है, इसलिए गरीब कल्याण ही मेरा मकसद है। प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का वो बयान याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। पीएम बोले अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि पहला हक किसका होगा। पीएम मोदी के इस सवाल से कांग्रेस के सामने उहापोह की स्थिति बन गई है। सियासी संदेश यह भी जाता है कि क्या कांग्रेस अब मुसलमानों के अधिकारों को कम करना चाहती है? पीएम ने यह भी कहा कि अगर आबादी के हिसाब से ही देश के संसाधनों का बंटवारा होगा, तो इसका मतलब सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू आगे बढ़कर अपना सारा हक ले लें।

प्रधानमंत्री के बयानों से यह संकेत साफ़ है कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की मिलीजुली खिचड़ी में जाति का जहर डालने की जो कोशिश की, उसकी काट में बीजेपी ने हिंदू बनाम मुसलमान का विमर्श आगे बढ़ाने की ठान ली है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी जोड़ गांठ के बाद पिछड़ों के एक बड़े तबके को अपने साथ लाने में सफलता पाई थी। उसे वो किसी भी हालत में अपने से दूर नहीं होने देना चाहते हैं। यही वजह है कि इस बाबत अपने तरकस के सारे तीर एक-एक कर वो सामने ला रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि सारी कोशीशों के बाद अंततः तीर निशाने के किसके सधता है। बीजेपी वाले एन डी ए गठबंधन के या ढाई दर्जन विपक्षियों वाले आईएनडीआईए गठबंधन के।

 

 

 

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