Responsive Menu
Add more content here...
October 8, 2024
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

नहीं रहे ‘सहाराश्री’

By Shakti Prakash Shrivastva on November 15, 2023
0 660 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव  

                                 सहारा श्री सुब्रत रायॅ का 14 नवंबर की देर रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है। वह गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। बीते कुछ महीनों से उनका इलाज चल रहा था। 15 नवंबर को उनका पार्थिव शरीर लखनऊ लाया जाएगा।  लखनऊ में ही उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी। मुंबई के ही एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इन्होने सामूहिक भौतिकवाद के सिद्धान्त आधारित सहारा इंडिया जैसी एक ऐसे अनूठी संस्था की नींव डाली थी जिसमे कोई मालिक नहीं है बल्कि सभी एक परिवार के सदस्य है। इनके द्वारा शुरू की गयी इस  संस्था सहारा इंडिया ने फाइनेंस पैराबैंकिंग, उड्डयन, मीडिया, इंश्योरेंस, पर्यटन, मनोरंजन, हाऊसिंग, होटल, रिटेल, स्वास्थ्य, उत्पादन आदि जिस किसी भी क्षेत्र मे अपनी उपस्थिति दर्शाई उसमे एक अलग मुकाम हासिल किया। हिन्दी और उर्दू मे दैनिक राष्ट्रीय सहारा, टीवी न्यूज चैनल सहारा समयसहारा एयरलाइंस, सहारा सिटी होम्ससहारा हॉस्पिटलसहारा मालसहारा क्यूशाप, सहारा लाइफ, सहारा ग्लोबलफिल्म डिवीजनसहारा फिल्मी चैनल, अंबि वैलीसहारा प्रोडक्ट, स्कूलअमेरिका-ब्रिटेन मे होटल आदि सभी इसी समूह की इकाइयां रही। श्री राय का जन्म भले ही बिहार के अररिया जिले में हुआ पर उनकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश का गोरखपुर रहा। सहारा समूह की नींव भी सन 1978 में यही पड़ी। जिन लोगों ने गोरखपुर मे लम्ब्रेटा स्कूटर से इनको चलते देखा है आज चार दशक बाद उन्हे इनकी उपलब्धियों पर फक्र होता है।

एक समय देश के 10 प्रभावशाली लोगों की सूची में शुमार था श्री राय का नाम। पैराबैंकिंग में धन की शत प्रतिशत सुरक्षा, रिटेल में शुद्धता-गुणवता और स्तरीयता, मीडिया में विश्वसनीयता, सकारात्मकता और देशहित एवं निर्भयता जैसे शब्द इनकी प्रगति के मूल मे रहे। उनका यह शब्द का आदर्श महज कागजी नहीं बल्कि व्यावसायिक, व्यावहारिक, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय और राष्ट्रलाभ से जुड़ा हुआ रहा। कुछ वर्षो से उपजे विपरीत परिस्थितियों मे भी श्री राय ने अपना मूल नहीं छोड़ा। उनका सूत्र वाक्य है, सच को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं. पराजय और पलायन उसके शब्दकोश में नहीं है। वह पुरजा-पुरजा कटि मरैं तबहूं न छाड़ैं खेत” के उद्बोधन के समर्थक रहे। आज भी श्री राय की प्रतिबद्धताओं का हर शख्स लोहा मानता है। सत्य के प्रति उनका आग्रह अटल रहता था। उनके द्वारा लोगों के लिये पैदा किये गये रोजगार के अवसरों, खेल के कई क्षेत्रो में देश को स्वर्णिम सफलताओं और खुशी के विभिन्न अवसर प्रदान करने में उनके अवदान को नहीं भुलाया जा सकता। सफल व्यावसायी के तौर पर उन पर व्यापक शोध अपेक्षित है। उनकी लिखी प्रेरक पुस्तक त्रयी भी उपलब्ध है जिसने देश विदेश में पुस्तक बिक्री के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिये। सामूहिक भौतिकवाद के प्रणेता सुब्रत राय सहारा को मिलने वाले पुरस्कारों, प्रशस्तियों, उपाधियों की सूची इतनी सुदीर्घ है कि यहां उनका उल्लेख करना सूरज को दिया दिखाना होगा। आज बेशक वो हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके अवदान सदैव-सदैव याद किए जाते रहेंगे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *