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December 9, 2024
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ऐसे तो महाराष्ट्र भी जीत लेगी बीजेपी !

By Shakti Prakash Shrivastva on October 19, 2024
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                                                                               शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही महाराष्ट्र में आइएनडीआईए गठबंधन के घटक दलों खासकर शिवसेना उद्धव, कांग्रेस और एनसीपी शरद गुट के नेताओं में सीटों को लेकर उठापटक शुरू हो गई है। ये तीनों दल वही है जिन्होने महा विकास अघाड़ी के नाम से पिछली सरकार चलायी थी। ये वो दल हैं जो सीधे तौर पर महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके सहयोगियों को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं। लेकिन जब इन्ही दलों मे चुनावी एकजुटता नहीं रहेगी तो इसका फायदा बीजेपी गठबंधन को मिलना लाजिमी है। ऐसे में अगर समय रहते इन दलों ने आपसी सहमति से कोई बीच का रास्ता नहीं निकाला तो संभव है कि हरियाणा की तरह ही बीजेपी और उसके सहयोगियों को यहाँ भी सरकार बनाने का मौका मिल आए।
महाविकास आघाडी के घटक दलों में सियासी रिश्तों की डोर अब सीटों के माकूल बंटवारा न होने के चलते कमजोर पड़ती दिखने लगी है। हुआ ये कि जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई महाराष्ट्र में सभी सियासी दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर अपने सहयोगी दलों से रिश्ते चटखने लगे। इनमे सबसे ज्यादा मतभेद की स्थिति कांग्रेस और उसके सहयोगी महाविकास आघाडी के सदस्यों में दिख रहा है। इनमें भी असली विवाद कांग्रेस और शिवसेना उद्धव के बीच हो रहा है। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं ने तो बाकायदा आक्रामक रुख अपनाते हुए यहाँ तक ऐलान कर दिया है कि अगर सीटों को लेकर दोनों दलों के नेताओं के बीच जो बैठक होने वाली है उसमें अगर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले शामिल होंगे तो उस बैठक में शिवसेना उद्धव के नेता शामिल नहीं होंगे।
शिवसेना उद्दव गुट के नेताओं का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ही एक ऐसे नेता है जिनके अड़ियल रवैया के चलते प्रदेश में सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है। वे न जाने क्यूँ जिद पर अड़े हुए हैं और ठाकरे गुट को तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
शिवसेना उद्धव नेता संजय राउत की मुताबिक उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथल्ला और मुकुल वासनिक से बात की है और राहुल गांधी से भी इस मामले में बात करेंगे। विधानसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है। लेकिन अफसोस की आघाडी के सदस्यों में अभी तक सहमति नहीं बन पायी है।
जानकारी की मुताबिक 288 सीटों में से सिर्फ 28 सीटें ऐसी हैं जिनको लेकर तीनों दलों मे एका नहीं बन पा रही है। अब चूंकि नामांकन का समय निकलता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि जल्द से जल्द सीटों पर सहमति बन जाये। वरना जितना विलंब होगा प्रत्याशी को प्रचार करने का वक्त भी कम मिलेगा। देखना ये है कि दोनों दल कितना जल्दी सीटों पर सहमति बना लेते है। वरना इनकी इस देरी का फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा और हरियाणा की तरह ही संभव है यहाँ भी सरकार आसानी से बना ले।

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