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बिहार : अस्पतालों में मरीजों की भीड़ नही लेकिन मौतों के आंकड़ों से डरा रही ‘कोरोना’

By Shakti Prakash Shrivastva on July 20, 2022
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पूर्वाञ्चलनामा डेस्क/पटना

बिहार में मौजूद कोरोना प्रकोप की चौथी लहर में हालांकि अस्पतालों में मरीजों की भीड़ नही है लेकिन इससे हो रही मौतों के आंकड़ों पर गौर करें तो वो भयावहता पैदा करती हैं। चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की मुताबिक इस साल जनवरी से 17 जुलाई तक राज्य में कुल 174 मौतें हुई हैं। सबसे अधिक मौतें पटना में हुई हैं। पटना में कुल 50 लोगों की मौत हुई है। कोरोना की पहली लहर में (मई 2020 से दिसंबर 2020 तक) 532 मौतें हुई थीं जबकि दूसरी लहर में (जनवरी 2021 से दिसबंर 21 तक) 1263 संक्रमितों की मौत हुई थी। वैसे इस दौरान पटना में कुल 3240 मौतें हुई थीं। इसमें पटना के 1845 लोगों की मौत हुई थी। बाकी मौत पटना के बाहर के मरीजों की हुई थी। कोरोना ने यूं तो हर आयु वर्ग के लोगों को अपने आगोश में लिया लेकिन इस बार अभी तक प्राप्त आंकड़ों में सर्वाधिक संख्या 30 से 60 साल के लोगों की है। इस साल जनवरी से 17 जुलाई तक सबसे अधिक 28 मौतें 60 से अधिक आयु वर्ग के मरीज की हुई। 10 मौतें 41 से 59 साल, आठ मौतें  21 से 40 साल और चार मौतें शून्य से 20 साल तक के बीच की हुई है। कुछ मरीजों में तो कोई लक्षण नही थे लेकिन अधिकांश में फीवर के साथ शार्टनेस ऑफ ब्रेथ, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी, चेस्ट पेन, हेडेक जैसे लक्षण थे। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस वर्ष राज्य के शेखपुरा, शिवहर, कैमूर और जहानाबाद जैसे चार जिलों में एक भी मौत नहीं हुई है। राज्य में इस समय भर्ती मरीजों के आँकड़े देखें तो पटना एम्स को छोड़कर किसी भी अस्पताल में दो से चार मरीज ही भर्ती हैं। कुछ अन्य बीमारी का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों में कोरोना जांच में संक्रमण निकल जा रहा है। ऐसी स्थिति में मरीज को पहले कोरोना वार्ड में भर्ती करके इलाज किया जा रहा है। बिहार में कोरोना की पहली लहर 116 दिनों तक चली थी। फिर उसे सामान्य होने में 90 दिन लगे। कोरोना की पहली लहर में वर्ष 2020 में बिहार में कोरोना का पीक पीरियड 25 जुलाई से 23 अगस्त तक था। 25 जुलाई को ही पहली बार एक दिन में मरीजों की संख्या 2000 के पार पहुंची थी। अगस्त के आखिरी सप्ताह से कोरोना का ग्राफ ढलान पर आया मार्च 2021 के पहले सप्ताह में नए मरीज मिलने की संख्या दो अंकों तक सिमट गई थी। कोरोना की दूसरी लहर 96 दिनों तक चली। 45 दिनों में पीक आया। 22 मार्च के बाद संख्या बढ़ने लगी थी और 9 अप्रैल को संख्या दो हजार को पार कर गई। कोरोना की दूसरी लहर का पीक पीरियड 6 मई 2021 को माना जाता है, उस दिन राज्य में सबसे अधिक 15 हजार कोरोना के केस मिले थे। 45 दिनों में पीक आने के बाद उसे सामान्य होने में 51 दिन लगे। आंकड़ों के मुताबिक अरवल-01, औरंगाबाद-04, बांका-02, बेगूसराय-03, भागलपुर-09, भोजपुर- 02, बक्सर- 03, दरभंगा-10, गोपालगंज-06, जमुई -02, जहानाबाद-00 कैमूर -00, कटिहार-01, खगड़िया-01, किशनगंज-02, लखीसराय- 01, मधेपुरा- 04, मधुबनी-02, मुंगेर-02, मुंजफ्फरपुर-09, नालंदा- 06, नवादा-03, पश्चिम चंपारण- 02, पूर्वी चंपारण- 09, रोहतास-03, सहरसा -05, समस्तीपुर-02, सारण- 06, शेखपुरा-00, शिवहर- 00, सीतामढ़ी- 03, सीवान- 02, सुपौल- 01, वैशाली-07 मौतें हुई हैं।

 

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