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आध्यात्मिक और मायावी आस्था का प्रतीक बनी अयोध्या

By Shakti Prakash Shrivastva on January 22, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

रघुवंश की कुलस्थली, राजा दशरथ की राजधानी, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली, जैसे न जाने कितने परिचय है इस अयोध्या के। जी हाँ त्रेता युग की वही सरयू किनारे वाली रामनगरी अयोध्या जिसने रामराज्य की न केवल परिकल्पना की बल्कि उसे आत्मसात भी किया। त्रेतायुग से लेकर कलियुग तक का इतिहास साक्षी है कि इस नगर ने न केवल मानवता को मर्यादा की परिभाषा दी बल्कि संसार, समाज और परिवार को भी जीवन के मूल से परिचित कराते हुए उसे संस्कारित करने का काम किया। एक लंबे कालखंड के बाद आज वही अयोध्या एक बार फिर आध्यात्मिक और मायावी आस्था की प्रतीक बन गई। इसका माध्यम बना लगभग पाँच सौ साल के बाद भगवान रामलला का भव्य-दिव्य मंदिर। आज 22 जनवरी 2024 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भगवत, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदिबेन पटेल और मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ समेत श्रेष्ठ संतों-महात्माओं की मौजूदगी में इस नवनिर्मित राममंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित हुई। मेष लग्न की शुभ संजीवनी काल में दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में पाँच वर्षीय भगवान श्री राम की दिव्य मूर्ति को मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधिवत पूजन-अर्चन के बाद विग्रह रूप में प्रतिष्ठित किया। निःसन्देह श्री राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा का यह क्षण भारत की संस्कृति और सभ्यता की स्वतंत्रता और पुनरुत्थान का क्षण साबित होगा। आज देश ही नहीं दुनियाभर के सनातनी हिंदुओं के मनमस्तिष्क में यह क्षण गौरव स्थापित कर गया।

इस पवित्र मौके पर देश के कई हजार की संख्या में साधु-संतों की मौजूदगी ने आध्यात्मिक चेतना के उत्कर्ष के इस विशिष्ट क्षण को अविस्मरनीय बना दिया। शायद यह देश का पहला ऐसा आध्यात्मिक कार्यक्रम होगा जिसमें एक तरफ जहां सिद्ध संत मनीषियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की वही उतनी ही बड़ी तादाद में वैज्ञानिक, कलाकार, क्रिकेट स्टार, फ़िल्मकार, उद्योगपति, व्यापारी, समाजसेवी सहित समाज के उन तबके के स्थापित मनीषियों ने भी हिस्सा लिया जो अमूमन एक साथ किसी एक आध्यात्मिक कार्यक्रम में नहीं दिखते। श्रेष्ठ त्यागी संत सन्यासियों व धर्माचार्यों ने अयोध्या में इस मौके पर मौजूद रहकर यह साबित कर दिया कि त्रेतायुगीन अयोध्या कलियुग में एकबार फिर आध्यामिक आस्था का केंद्र बन गया है। इतना ही नहीं ऐसे मौके पर बिगबी अमिताभ बच्चन, उनके पुत्र अभिषेक बच्चन, दक्षिण भारत के सुपर स्टार रजनीकान्त, चिरंजीव, उनके बेटे रामचरण, रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, आयुष्मान खुराना, विक्की कौशल, कैटरीना, माधुरी दीक्षित, सोनू निगम, हेमा मालिनी, मनोज जोशी, प्रसून जोशी, सोनू निगम, कंगना राणावत, अनुपम खेर   समेत कई गायकों-फ़िल्मकारों के अलावा क्रिकेटस्टार सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, विराट कोहली सरीखे क्रिकेटस्टार, मुकेश अंबानी, गौतम अदाणी, रतन टाटा, कुमार मंगलम बिड़ला, एन चंद्रशेखरन, अनिल अग्रवाल, एनआर नारायण मूर्ति जैसे उद्योगपतियों के अलावा कुमार विश्वास, बाबा रामदेव सहित लगभग ढाई हजार की संख्या में जजेज़, वैज्ञानिक, अधिकारी जैसी विभूतियाँ मौजूद रही। इनकी मौजूदगी ने यह तो एहसास करा ही दिया कि अयोध्या अब आध्यात्मिक आस्था के साथ-साथ मायावी आस्था का भी केंद्र बन गया है। आज लगभग पाँच सौ वर्षों के कालखंड के बाद यह अविस्मरणीय क्षण आ सका है तो काफी हद तक इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया जाना चाहिए।

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