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September 11, 2024
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मानसून : जुलाई में अच्छी बारिश की उम्मीद फिर भी किसान चिंतित

By Shakti Prakash Shrivastva on July 2, 2022
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पूर्वाञ्चलनामा डेस्क/नई दिल्ली।

बरखा रानी जरा जमके बरसों, मेरा दिलवर जा न पाये, झूम के बरसों..

किसी फिल्मी गाने की ये चंद पंक्तियाँ भले ही प्रेमी के प्रति प्रेमिका के प्रेमाभाव को व्यक्त करती हो लेकिन बरसात के मौसम में झूम के बरसने का ये अनुरोध मानों देश की अन्नदाता किसानों के अंतर्मन की चाह होती है। वो चाहता है कि समय से मानसून की बारिश हो जिससे उसकी खरीफ की फसल भरपूर हो सके। इस साल हालांकि आठ जुलाई की सामान्य तिथि से छह दिन पहले ही आज शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में अपनी दस्तक दे चुका है। लेकिन इस दौरान मौसम में जो बारिश हुई है उसका औसत सामान्य से पांच फीसदी कम है। गुजरात और राजस्थान में मौसमी बारिश के साथ-साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में पहुंच गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा, दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानसून सामान्य से तीन दिन पहले 29 मई को दक्षिणी केरल राज्य के तट पर पहुंचा था। सरकारी आंकड़ों की मुताबिक मानसून की बारिश की अच्छी शुरुआत होने के बावजूद कुछ कमी दर्ज की गई है। इसके चलते जून माह में औसत से आठ फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मानसून रफ्तार पकड़ेगा और जुलाई में अच्छी बारिश होगी। प्री मानसून की जितनी बारिश होनी चाहिए उस हिसाब से इस बार बारिश नहीं हुई। लिहाजा शुरुआती मानसून की बेरुखी से खरीफ के फसल की बुआई प्रभावित हुई है। इसको लेकर परंपरागत खेती करने वाला किसान खासा चिंतित है। इस वर्ष अभी एक जुलाई तक बुवाई में पिछले साल के मुकाबले करीब 15.70 लाख हेक्टेयर यानी करीब 5.33 फीसदी की कमी आई है। इससे गेहूं की कम पैदावार की मार झेल रहे देश पर खरीफ फसलों की कम बुवाई का खतरा भी मंडराने लगा है, क्योंकि पिछले साल इसी समय हुई 294.42 लाख हेक्टेयर की बुवाई के मुकाबले इस साल एक जुलाई तक 278.72 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की ही बुवाई हो पाई है। पंजाब, उत्तराखंड की तराई के इलाके और पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान अभी भी अच्छी और लगातार बारिश की बाट जोह रहे हैं। जून की सामान्य से कम बारिश की वजह से धान, ज्वार, रागी मक्का, मूंगफली और रामतिल की बुवाई पर व्यापक असर दिख रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के 12.27 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अभी तक 10.57 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई है। लेकिन मौसम विज्ञानियों की बात पर यकीन करें तो जुलाई में ठीक-ठाक बारिश होने का अनुमान है। यदि ऐसा हुआ तो भविष्य को लेकर चिंतित किसानों को राहत मिल जाएगी।

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