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अखिलेश और शिवपाल फिर होंगे साथ : क्या राजनीति पर भारी पड़ेगी भावना?

By Shakti Prakash Shrivastva on October 15, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में  पूरी रिपोर्ट  सुनने के लिए क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि सपा कार्यकर्ताओं के सीने में एक सवाल आग बनकर धधकने लगी है। सवाल ये है कि क्या सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनके चाचा विधायक शिवपाल यादव फिर एक साथ आ जाएँगे। पिछले दिनों शिवपाल यादव द्वारा यह कहे जाने के बावज़ूद कि सपा के साथ कभी नहीं जाएँगे के बाद भी इस तरह के सवाल के उठने के पीछे भी कार्यकर्ताओं के पास वाजिब आधार हैं। एक तो नेताजी मुलायम सिंह के निधन के बाद स्थितियाँ भी पहले से बदली हैं। नेताजी के मेदान्ता अस्पताल में इलाज से लेकर निधन के बाद उनके अन्त्येष्टि तक अखिलेश और शिवपाल जिस तरह साये की तरह साथ-साथ देखे गए। नेताजी का पार्थिव शरीर जब सैफई में घर से दर्शनार्थ महोत्सव पंडाल ले जाया जा रहा था तब भी ट्रक पर अखिलेश के साथ शिवपाल और आदित्य यानि शिवपाल के लड़के भी साथ-साथ रहे। श्रद्धांजलि समारोह में प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य जब नेताजी के शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए अखिलेश के पास गए तो अखिलेश ने चाचा शिवपाल की ओर इशारा कर मदद करने को कहा। इतना ही नही एक मौके पर शिवपाल ने भावुक अखिलेश के कंधों पर हाथ रख अभिभावकत्व का एहसास भी कराया। उनसे इन सवालों का उठना लाजिमी लगता है।

तस्वीरों में लगातार साथ दिखे अखिलेश और शिवपाल

सपा की तरफ से भी इस दौरान जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली गईं उनमें भी अधिकांश में अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल साथ-साथ देखे गए। तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि नेताजी के निधन के बाद परिवार में भावनात्मक रिश्तों पर पड़ी धूल कुछ हद तक साफ हुई है। अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव को भी तस्वीरों में देवरानी अपर्णा यादव को निर्देशित करते और अपर्णा को उसे फालों करते देखा गया। अमूमन भारतीय समाज में ऐसे अवसरों पर भावनात्मकता को तल्ख रिश्तों पर भारी पड़ते देखा गया है। ऐसे में संभव है कि नेताजी के न रहने से उपजी रिक्तता को अखिलेश शिवपाल के रूप में पूर्ण मानें। लेकिन ऐसा आसान नहीं लगता है क्योंकि इन्ही शिवपाल की वजह से 2016 में समाजवादी पार्टी में वो सब हुआ जो नही होना चाहिए था। सो अखिलेश वो सब भूल जाएँ ऐसा लगता नही है। नेताजी के निधन के बाद मीडिया से मुखातिब शिवपाल से पत्रकारों ने पूछा भी कि क्या आप लोग साथ आएंगे तो शिवपाल ने उचित अवसर न कह किनारा कस लिया। अभी तो नही लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद स्थितियाँ काफी हद तक स्पष्ट हो जाएंगी। यह भी संभव है कि दोनों में दूरियाँ और बढ़ जाएँ क्योंकि जो स्थितियाँ नेताजी की मौजूदगी की वजह से नियंत्रित रहती थी अब वो वैसे नही रहेंगी। लेकिन इन स्थितियों से उपजे सवालों का जवाब भी समय के साथ ही आमजन को मिल सकेगा।

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