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September 11, 2024
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सपा ने ‘माय’ को किया बाय

By Shakti Prakash Shrivastva on April 18, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

अपनी स्थापना के समय से ही समाजवादी पार्टी की छवि कुछ ऐसी रही है कि लोग मानते हैं कि सपा मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति की पक्षधर है। क्योंकि सपा की सरकार होने पर इनके ऊपर इस कुनबा विशेष को अधिक हिस्सेदारी देने का आरोप लगता है और चुनावों में हो तो अधिक भागीदारी देने का। लेकिन इस बार बदलते माहौल में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस नीति की समीक्षा करते हुए लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में एक नयी नीति को अपनाया है। इस नीति के तहत मुस्लिम-यादवों के माय यानि मुस्लिम के एम और यादवों के वाई वाली नीति से दूर रहने का पार्टी ने संकल्प लिया है। पार्टी गठन से लेकर अब तक हुए लोकसभा चुनावों में यह पहला मौका होगा जब पार्टी में मुस्लिमो और यादवों के टिकट आधे हो गए हैं। जबकि कुर्मी,निषाद सहित अन्य पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी लगभग दोगुनी से भी ज्यादा हो गयी है।    सपा ने इस बार के चुनाव में बारीकी से जातीय समीकरण साधने के बाद टिकटों का वितरण किया है।

साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा है कि उसके किसी कदम से धार्मिक ध्रुवीकरण का संदेश न जाए। यही वजह है कि इस बार पार्टी ने मुस्लिम और यादवों से ज्यादा कुर्मी, मौर्य- शाक्य-सैनी-कुशवाहा प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। सपा द्वारा अब तक घोषित किए गए 57 प्रत्याशियों में से चार मुस्लिम, नौ सामान्य वर्ग के, 15 एससी और 29 ओबीसी हैं। गठबंधन के तहत सपा को यूपी में 62 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने हैं, जबकि 17 सीटें कांग्रेस और एक तृणमूल कांग्रेस के खाते में है। सपा ने टिकट देने में अपनी पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) रणनीति का ध्यान तो रखा है, पर मंशा यह भी रही है कि आधार वोट में प्लस करने वाले प्रत्याशी उतारे जाएं। इन्हीं समीकरणों के तहत नौ सीटों-बस्ती, प्रतापगढ़, गोंडा, अंबेडकरनगर, बांदा, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, कुशीनगर और श्रावस्ती में कुर्मी-पटेल-सैंथवार प्रत्याशी दिए हैं।

मुस्लिम और यादव (माय) सपा के आधार वोट बैंक माने जाते हैं, लेकिन सिर्फ चार सीटों-कैराना, गाजीपुर, संभल और रामपुर में ही उसने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। प्रदेश की आबादी में मुस्लिम करीब 20 फीसदी हैं, लेकिन सपा के अभी तक घोषित प्रत्याशियों में इनकी हिस्सेदारी सात फीसदी ही है।इसी तरह से फिरोजाबाद, बदायूं, मैनपुरी और आजमगढ़ के ही प्रत्याशी यादव जाति से हैं। ये सभी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के परिवार के ही सदस्य हैं। अभी तक घोषित प्रत्याशियों में छह लोकसभा क्षेत्रों- एटा, आंवला, फर्रुखाबाद, बिजनौर, जौनपुर और फूलपुर से मौर्य-शाक्य-सैनी-कुशवाहा प्रत्याशी दिए हैं।

गौतमबुद्धनगर से गुर्जर, अकबरपुर से पाल, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, संतकबीरनगर और गोरखपुर से निषाद उम्मीदवार उतारे हैं। दो सीटों-मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ से जाट प्रत्याशी दिए हैं। फैजाबाद और मेरठ जैसी सामान्य सीटों पर अनुसूचित जाति के अवधेश प्रसाद और सुनीता वर्मा को उतारकर दलितों को तरजीह देने का संदेश भी दिया है। सामान्य जाति के नौ प्रत्याशियों में से बागपत और डुमरियागंज में ब्राह्मण प्रत्याशी हैं, जबकि चंदौली और धौरहरा में ठाकुर जाति के हैं। लखनऊ, उन्नाव, बरेली, मुरादाबाद और घोसी से भी सपा के प्रत्याशी सामान्य वर्ग से हैं। इस तरह से यह स्पष्ट हो गया है कि सपा ने अपने चिर पुराने नीति माय को गुडबाय कर दिया है।

 

 

 

 

 

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