Responsive Menu
Add more content here...
February 8, 2025
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

  • Home
  • बिहार / झारखंड
  • मधुबनी के इसहपुर गाँव में मिल रहे हैं प्राचीन सभ्यता के अवशेष, ग्रामीणों में कौतूहल

मधुबनी के इसहपुर गाँव में मिल रहे हैं प्राचीन सभ्यता के अवशेष, ग्रामीणों में कौतूहल

By Shakti Prakash Shrivastva on May 26, 2021
0 401 Views

मधुबनी,(संवाददाता)  लोककला खासकर अपनी विशिष्ट मधुबनी पेंटिंग्स के लिए देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर बिहार का मधुबनी जिला इन दिनो प्राचीन सभ्यता के अवशेषों के मिलने की वजह से सुर्खियों में है। जिला मुख्यालय से लगभग बीस किमी. दूर पंडौल प्रखंड के इसहपुर गांव में इन दिनों प्राचीन सभ्यता के अवशेष लगातार मिल रहे हैं। अलग-अलग आकार-प्रकार के बर्तन सरीखे आकृतियाँ या सिक्कों को देख ग्रामीण कौतूहल में हैं।

गांव में एक मृतप्राय नदी है, जिसे ग्रामीण अमरावती नदी के नाम से जाना जाता हैं। लोग उसमें खेतीबारी के साथ तालाब भी बना लिये हैं, जिसमें आये दिन खुदाई के दौरान प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिल रहे हैं। अभी तक ग्रामीणों को खुदाई में ईंट का मोटा दीवार, मटका, जात, सिक्का व पूजा पाठ की सामग्री मिल चुकी है। इससे लोगों में और भी जिज्ञासा बढ़ने लगी है कि आखिर इसके अंदर किस काल की नगर सभ्यता है।

गाँव के आनंद कुमार झा, हर्षनाथ झा, ध्रुव झा, पंकज झा, सौरभ झा, आनंद झा सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि एक साल पहले आनंद झा ने एक तालाब खुदवाया। जिसमें ईंट का एक दीवार दिखाई पड़ा। जो सामान्य ईंट से बहुत अधिक लंबा व चौड़ा है। इससे पूर्व संकोर्थ गांव के एक व्यक्ति को एक प्राचीन सिक्का मिला। जिसकी कीमत लाख रुपये बतायी जाती हैं। चार मई को ग्रामीणों की एक टोली ने वहां खुदाई की तो नगर सभ्यता के और कई सामान मिले। जिसमें से एक ईंट डीएम मधुबनी को देखने के लिए गांव के युवाओं ने दिया। 24 मई को फिर खुदाई शुरू की तो दीवार का अंत नहीं मिल रहा है। दीवार करीब तीन से चार फुट मोटा बताया जाता है।

अवशेष हजार-डेढ़ हजार साल पुराने प्रतीत हो रहे
महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा के सहायक संग्रहालयाध्यक्ष डा. एस के मिश्र ने बताया कि इस तरह का ईंट एक हजार से डेढ़ हजार वर्ष के बीच नगर सभ्यता में प्रयोग होता था। सिक्का दो सौ साल पहले का हो सकता है। सिक्का पर लिपी देवनागरी है। जबकि मिथिला में पहले मिथिलाक्षर एवं कैथी लिपी का प्रचलन था

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *