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फिर विवादों में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी, विपक्षियों ने लगाया करोडों की जमीन लाखों में खरीदने का आरोप

By Shakti Prakash Shrivastva on May 27, 2021
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लखनऊ, (शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव)। अभी भाई के विवादों से किसी तरह उबरे ही थे प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ सतीश द्विवेदी की एक नए विवाद ने उन्हे फिर से घेर लिया है। नया विवाद जमीन की खरीद फरोख्त से जुड़ा हुआ है। इस बार विपक्षियों ने साक्ष्य सहित उन पर आरोप लगाया है कि उन्होने सवा करोड़ की कीमत वाली जमीन महज 20 लाख में कैसे खरीद ली।

आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने अपने ट्विटर पर चार रजिस्ट्री की फोटो शेयर करते हुए ये दावा किया है कि जमीन की रजिस्ट्री सतीश द्विवेदी और उनकी मां के नाम पर है। उनका आरोप है कि जमीन मार्केट रेट से बहुत कम दाम पर खरीदी गई है।

65 लाख की 12 और 1.26 करोड़ की जमीन 20 लाख में?

यही आरोप सपा नेता सुनील कुमार यादव ने भी लगाया है कि सतीश द्विवेदी ने अपने और अपनी मां के नाम पर महंगी जमीनों को बेहद कम कीमत पर खरीदा। उनका आरोप है कि एक जमीन की कीमत 65.45 लाख रुपए थी, जिसे 12 लाख रुपए में खरीदा गया है। वहीं, दूसरी जमीन की मार्केट कीमत 1.26 करोड़ रुपए थी जिसे महज 20 लाख रुपए में खरीद लिया गया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “गरीब का हक मार कर EWS कोटे के तहत अपने भाई की फर्जी नियुक्ति कराने वाले ईमानदार बेसिक शिक्षा मंत्री जी, करोड़ों की जमीन 20 लाख में बैनामा कराने का भी हुनर रखते हैं। अब समझ में आ रहा है कि भाई ने इस्तीफा क्यों दिया! वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते लिखा, “क्या आपको 1 करोड़ 26 लाख 29 हजार की जमीन 20 लाख में चाहिए? तो आदित्यनाथ जी की सरकार में मंत्री बन जाइए।”सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि आपके मंत्री कब इस्तीफा देंगे?”

पिछले 21 मई को ही मंत्री के भाई डॉ अरुण द्विवेदी की गरीब कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई नियुक्ति के बाद मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी विवादों में घिर गए थे। हालांकि उनके भाई ने अब असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है। जिसे मंजूर भी कर लिया गया है। इस तरफ के आरोप यदि सही है तो कहीं न कहीं भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी सरकार चलाने का दावा करने वालों पर प्रश्न उठना लाजिमी है। ऐसे मुद्दों पर सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए दूध का दूध और पानी का पानी स्पष्ट कर देना चाहिए। इससे सरकार की छवि बेहतर होगी।

 

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