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जुमलेबाज नहीं, सपने को हकीकत में बदलने वाले शिल्पकार हैं ‘मोदी’

By Shakti Prakash Shrivastva on July 8, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

              देश का समूचा विपक्ष एक सुर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम जुमलेबाज विशेषण के साथ ही लेता है। उसका मानना है कि मोदी जो भी बाते कहते है उससे अपनी मार्केटिंग तो कर लेते है लेकिन उस काम को नहीं करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर बसे कभी पिछड़े इलाके के रूप में शुमार रहे जिला गोरखपुरकी बात करे तो कम से कम इस इलाके के लोग विपक्ष की इन बातों से सहमत नहीं है। ऐसा तर्क महज इसलिए नहीं है कि ये इलाका कई दशकों से भाजपाई मानसिकता वाले राजनीतिक प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व स्वीकारता रहा है। बल्कि इसलिए कि इलाके की कुछ ऐसी समस्यायें या मांगे थी जिस पर विपक्षी सरकारों ने स्वीकारा तो समाधान के प्रयास का वायदा भी किया लेकिन उसे पूरा नहीं किया। लिहाजा यहाँ के इलाकाई उन विपक्षियों को जुमलेबाज की श्रेणी में रखते हैं। जैसे नब्बे के दशक में केंद्र सरकार की नुमाइंदगी कर रहे थे एचडी देवेगौड़ा। बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने गोरखपुर के बंद पड़े खाद कारखाने को चलाने का न केवल एक जनसभा में घोषणा किया था बल्कि उस दौरान शुरुआती औपचारिकताएं निभाने वाली कुछ कार्रवाइयाँ भी हुई थीं। लेकिन अंततः कुछ हुआ नही उनका प्रयास एक जुमला साबित हो गया। देश में यूरिया की किल्लत होने पर सत्तारूढ़ केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने भी कुछ प्रयास किया लेकिन वो भी अंजाम तक नहीं पहुँच सका और फिर बाद में केंद्र में बीजेपी की सरकार आ गई। सरकार के मुखिया बने नरेंद्र मोदी। इलाकाई सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रयास से उनको इलाकाई लोगों के इस सपने की जानकारी हुई। मुख्यमंत्री योगी के प्रयास स्वरूप वो समय आया कि 2016 की जुलाई महीने में मोदी ने गोरखपुर आकर इसका भूमिपूजन कर इस इलाकाई लोगों के सपने को हकीकत में बदलने की औपचारिक शुरुआत कर दिया। तेज रफ्तार से निर्माण कार्य चला और देखते-देखते 2021 में प्रधानमंत्री ने इसका विधिवत लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित भी कर दिया। प्राकृतिक गैस से चलने वाली इस कारखाने की लागत लगभग 8 हजार करोड़ से ज्यादा है। इस तरह गोरखपुर वासियों के लिए लगभग दस साल पहले तक जो कुछ चीजें सपना सरीखा लगने लगी थी। मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद एक-एक कर सभी सपने हकीकत में तबदील होने लगीं। मसलन लगभग ढाई दशक पहले एक हादसे के बाद बंद हुए इस खाद कारखाने की दुबारा शुरुआत हुई। पूर्वांचल के मरीजों के लिए बहुप्रतीक्षित मांग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रूप में पूरी हुई, कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और गोरखपुर के हवाईअड्डे का विस्तार..गोरखपुर से लखनऊ के बीच अत्याधुनिक वंदेभारत ट्रेन की शुरुआत हुई। इस तरह की कई ऐसी मांगे थीं जिसकी इलाकाईयौ को अरसे से दरकार थी लेकिन इसके लिए राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की संस्तुति भी आवश्यक थी। राज्य में योगी आदित्यनाथ और केंद्र में नरेंद्र मोदी की डबल इंजन की सरकार होने पर इस तरह की सभी योजनाएं एक-एक कर जमीन पर आकार लेने लगीं। इलाके की पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिलों की पुनर्स्थापना..आयुष विश्वविद्यालय..सैनिक स्कूल..होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट..निजी गोरखनाथ विश्वविद्यालय..रामगढताल सुंदरीकरण ..सड़क. नाली..फ्लाईओवर निर्माण समेत बहुत सारी ऐसी योजनायें है जिन्होंने आज गोरखपुर की आपराधिक छवि को वैश्विक स्तर पर बदल प्रगतिवादी बनाने में अहम भूमिका अदा की है। इन योजनाओं को जमीन पर उतारने में प्रत्यक्ष तौर पर अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका दिखती है तो अप्रत्यक्ष तौर पर कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी अहम सहयोग है। इसलिए गोरखपुर और उसके आस-पास के इलाके के लोगों के लिए मोदी जुमलेबाज नहीं बल्कि सपने को हकीकत में बदलने वाले शिल्पकार है।

 

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