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UP समाजवादी पार्टी : खुलती जा रहीं गठबंधन की गाँठें !

By Shakti Prakash Shrivastva on September 20, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी (BJP) को सत्ता तक न पहुँचने देने के लिए समाजवादी पार्टी (SAMAJWADI PARTY) की अगुवाई में कुछ दलों ने आपस में चुनावी समझौता किया था। एक गठबंधन बनाया था जिसमें समाजवादी पार्टी (SAMAJWADI PARTY) के अलावा राष्ट्रीय लोकदल (RLD), शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाज पार्टी (शिवपाल हालांकि चुनाव सपा के सिंबल पर लड़े और विधायक बने), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), अपना दल (कमेरावादी)APNA DAL-KAMERA सहित कुछ छोटे इलाकाई दल थे। मिलकर चुनाव भी लड़े, लगभग सवा सौ से अधिक विधायक भी चुने गए। लेकिन चुनाव बीते अभी छः माह भी नहीं हुए कि गठबंधन की मजबूत गाँठें सरकने लगी हैं या ये कहें खुलने लगी है। हालांकि इसकी शुरुआत तो नयी सरकार बनने के समय जब शिवपाल (SHIVPAL YADAV) को विपक्ष का नेता नहीं बनाया गया था तभी हो गयी थी। क्योंकि शिवपाल (SHIVPAL YADAV) ने इसके बाद बगावत कर दिया था। सपा (SAMAJWADI PARTY) वापस न जाने के ऐलान के साथ अपनी पार्टी को ही मजबूत करने की घोषणा कर दी थी। बाद के दिनों में जब विधान परिषद का चुनाव आया तब सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर (OP RAJBHAR) ने भी बगावती झण्डा थाम लिया। अभी इन दोनों का दंश गठबंधन झेल ही रहा था कि गठबंधन के सबसे मजबूत किरदार राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने निकाय चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ने का ऐलान कर गठबंधन की चूलें हिला दीं। हालांकि बाद में पार्टी ने इसे श्री राय का व्यक्तिगत विचार बताया था। लेकिन अभी ये सब चल ही रहा था कि विधानसभा के मानसून सत्र के ठीक पहले एक बार फिर ऐसी स्थिति आ गई जिसने स्पष्ट कर दिया कि रालोद (RLD) का गठबंधन से मोहभंग हो गया है। हुआ ये कि एक तरफ सपा (SAMAJWADI PARTY) विधायक सड़क पर पैदल मार्च करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी तरफ गठबंधन के साथी रालोद (RLD) विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे थे। रालोद (RLD) विधायकों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से पहले चौधरी चरण सिंह की विधानसभा स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विरोध प्रदर्शन किया। इसमें सपा (SAMAJWADI PARTY) विधायक नहीं थे। इसी तरह सपा (SAMAJWADI PARTY) कार्यालय के पास सपाइयों ने विरोध प्रदर्शन किया वहाँ रालोद (RLD) विधायक नहीं थे। इस तरह गठबंधन के सभी मुख्य किरदारों के ऐसे व्यवहार ने ये साबित कर दिया है कि गठबंधन में दरारें अब गहरा गयी हैं। दरारें भी ऐसी जो मरम्मत योग्य नहीं हैं।

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