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October 8, 2024
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सन्नाटे में चकिया !

By Shakti Prakash Shrivastva on April 16, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

प्रयागराज महानगर का चकिया मुहल्ला कभी सर्वाधिक सुर्खियों में रहने वाला मुहल्ला हुआ करता था। क्योंकि इसी मुहल्ले में प्रयागराज और आसपास के जिले का सर्वाधिक चर्चित माफिया डान अतीक अहमद और उसका सगा छोटा भाई माफिया अशरफ रहा करते थे। दोनों इस इलाके के ऐसे बाहुबली थे जिसके दरबार में बहुत सारे विवादित मामले बिना कोर्ट-कचहरी की चौखट तक पहुंचे ही हल हो जाया करते थे। उनकी इसी दहशत में जन्मी लोकप्रियता के सहारे ही दोनों भाइयों ने सत्ता के गलियारे से होते हुए सियासत में भी खासा दखल रख चुके थे। अतीक विधायक-सांसद बना तो उसका भाई अशरफ शहर क्षेत्र से लगे विधानसभा का विधायक बन बैठा। हालांकि इतिहास फिर दुहराया गया और दूसरों को आतंक के साये में जीने को मजबूर करने वाले दोनों भाईयो की फिल्मी अंदाज में पिछले साल पंद्रह अप्रैल को पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मारने वाले तीनों ही अपराधी कोई नामचीन शातिर नहीं थे लेकिन इतना खतरनाक तो थे ही कि पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में इन दोनों शातिरों को मौत के घाट उतारने में तनिक भी नहीं हिचके। आज ठीक एक साल बाद उसी चकिया मुहल्ले की स्थिति ये है कि मुहल्ले और कब्रिस्तान में सन्नाटा पसरा हुआ है। परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों तक में कोई इनकी मजार पर नहीं पहुंचा।

इस सन्नाटे की वजह है कि उनके मुहल्ले के अड़ोसी-पड़ोसी भी इनके परिवार से दूरी बना लिए हैं। दोनों भाइयों की हत्या के बाद इन्हे चकिया के निकट स्थित कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया था। लेकिन आज जब उनकी हत्या के पूरे एक साल पूरे हो गए। उनकी कब्र और घर पर कोई पुरसाहाल लेने वाला नही है। घर के सभी मुख्य सदस्य या तो जेलों में बंद है या फरार हैं। पुलिस पूरी शिद्दत से उनका पता लगा रही है। अतीक के पाँच बेटों में एक असद झांसी में हुए पुलिस इंकाउंटर में मारा गया था। बाद के दो बेटे उमर और अली जेल में और शेष दो नाबालिग है और किसी रिश्तेदार के साथ रह रहे हैं। अतीक की 50 हजार की इनामिया पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ की पत्नी जैनब और बहन आयशा नूरी का अभी तक पता नहीं चला है। सभी फरार हैं। जैनब और नूरी पर भी 25-25 हजार का इनाम घोषित है।

घटना के एक साल बाद भी चकिया स्थित अतीक के घर पर रोज की तरह सन्नाटा पसरा रहा। सामने की सड़क पर इस रोड पर चलने वाले ई-रिक्शा चालक खंडहरनुमा मकान के अगल बगल लगे अशोक के पेड़ के नीचे आराम फरमाते दिखे। वहीं कब्रिस्तान पर भी रोज की तरह पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। यहां न तो पुलिस का पहरा था और न ही लोगों की आवाजाही ही थी, बावजूद इसके परिवार का कोई सदस्य य रिश्तेदार पहली बरसी पर अतीक और अशरफ के साथ अतीक के बेटे असद के कब्र पर नहीं पहुंचा।

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