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‘संसद’ से ही और सांसद जुटाएँगे मोदी !

By Shakti Prakash Shrivastva on May 28, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

             आजाद भारत के इतिहास में आज का दिन यानि 28 मई 2023 भारतीय लोकतन्त्र के स्वनिर्मित मंदिर के लोकार्पण के साथ एक दस्तावेजी प्रमाण के रूप में दर्ज हो गया। ऐसा प्रमाण जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था की चर्चा करने के लिए देश के सांसद अब अपने स्वनिर्मित संसद भवन में बैठेंगे। विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद इस भवन का लोकार्पण कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सियासत को इसके जरिये एक स्पष्ट संदेश देने का भी काम किया है। समझने वाले मोदी का यह संदेश समझे या न समझें लेकिन संसद में बीजेपी के सांसदों की संख्या कैसे पहले की अपेक्षा और बढ़े इस बाबत मोदी ने एक सीधा दांव चल दिया है। मोदी ने अतीत में कई एक मौकों पर यह प्रमाणित कर दिया है कि वो एक दूरदर्शी राजनेता है। उन्हे अच्छी तरह मालूम है कि उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में जहां उनकी सरकारे है या रही है। ऐसे में उन्हे वहाँ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एंटी इंकम्बेन्सी की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इसकी वजह से पहले की अपेक्षा सीटों में कमी हो सकती है। लिहाजा उन कम होने वाली सीटों की भरपाई के लिए ही मोदी ने अब दक्षिण भारत के उन राज्यों को अपना सियासी निशाना बनाया है जहां उनके सांसद या तो नहीं है या हैं तो उनकी संख्या बहुत कम है। तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में बीजेपी का एक भी संसद नहीं है। तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से एक भी सांसद भाजपा का नहीं है।
इतना ही नहीं दक्षिण भारत के पांच राज्यों की कुल 129 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के महज 29 सांसद हैं।

इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन में ढाई हजार साल पहले देश में चलन में रहे सेंगोल राजदंड को भी स्थापित किया है। देश में इस समय जितनी चर्चा संसद के नए भवन की भव्यता और दिव्यता की हो रही है उससे ज्यादा चर्चा उस सेंगोल यानि राजदंड की हो रही है जो तकरीबन ढाई हजार साल पहले चोल वंश के राजाओं के सत्ता हस्तांतरण के दौर में दिया जाता था। इसे मोदी की इसी नई सियासत का हिस्सा माना जा रहा है। सियासी जानकारों की मुताबिक जिस तरह से इस सेंगोल को लोकसभा में तमिल मठों के धर्माचार्यों का आशीर्वाद लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने स्थापित किया है। इसका सीधा और दूरगामी हित तमिलनाडु की सियासत से जुड़ा है। इसी कारण मोदी का फोकस पिछले कुछ दिनों से तमिलनाडु की तरफ है। इसी क्रम में उन्होने अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में काशी तमिल समागम का भव्य आयोजन भी किया था। एक महीने तक चलने वाली इस समागम में तमिल के 17 मठों से 300 से ज्यादा साधु संत और प्रमुख मठों के धर्माचार्य शामिल हुए थे।

सियासत के जानकारों का मानना है कि संसद के नए भवन के लोकार्पण में जिस भव्यता और धार्मिक माहौल के साथ तमिल धर्मगुरुओं और तमिल विरासत के स्वरूप राजदंड को स्थापित किया गया है। उससे लगता है कि बीजेपी तमिलनाडु में मजबूती से अपना जनाधार बढ़ाने के हर संभव प्रयास करेगी।

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