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यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह का निधन : 89 साल की उम्र में पीजीआई में लीं अंतिम सांस

By Shakti Prakash Shrivastva on August 21, 2021
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लखनऊ, (मुख्य संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह (बाबू जी) नहीं रहे। उन्होंने 89 साल की उम्र में SGPGI में शनिवार की रात आखिरी सांस ली। यूपी के पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह दो महीने से अस्पताल में भर्ती थे और पिछले एक सप्ताह से वेंटिलेटर पर थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 23 अगस्त यानी सोमवार को नरौरा में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक रहेगा। योगी ने कहा कल्याण सिंह दो महीने से अस्वस्थ थे। उन्होंने आज रात सवा नौ बजे आखिरी सांस ली। हम सभी दुखी है। मैं दिवंगत आत्मा के लिए शांति की कामना करता हूं। कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनने के बाद मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी। कल्याण सिंह 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। वह भाजपा के यूपी में पहले सीएम भी थे। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 21 फरवरी 1998 तक CM रहे। हालांकि, अगले दिन 22 फरवरी 1998 को वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और 12 नवंबर 1999 तक इस पद पर रहे। 30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था। ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी।

 

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