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सरकार के लिए बीजेपी को दक्षिण भारत का भरोसा!

By Shakti Prakash Shrivastva on May 27, 2024
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                                                                                           शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के छः चरण सम्पन्न हो चुके है। सातवाँ और आखिरी चरण पहली जून को है जबकि चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे। पिछले दो लोकसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करे तो पता चलेगा कि बीजेपी का दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत सहित अन्य क्षेत्रों में पकड़ अपेक्षाकृत अधिक मजबूत है। लेकिन इस बार के अभी तक छः चरणों में जो फीडबैक मिल रहा है उसके अनुभवों से ऐसा लग रहा है कि उत्तर सहित अन्य क्षेत्रों में इस बार बीजेपी की सीटों में पहले की तुलना में गिरावट हो रही है। लेकिन साथ ही इस बात का भरोसा भी है कि इस बार इस कमी की भरपाईं दक्षिण भारत से हो जाएगी। उत्तर भारत के उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश औरबिहार सरीखे राज्यों में पूर्व की अपेक्षा सीटों की संखया में गिरावट होने की पूरी संभावना दिख रही है ऐसे में बीजेपी इस कमी की भरपाई दक्षिण भारत के राज्यों में करने की जुगत में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह भी इस बार अपना ध्यान दक्षिण भारत के राज्यों पर अधिक रखे हुए है। आंकड़े भी इस बात की तसदीक करती हैं कि जबसे लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई है, प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण के छह राज्यों की 64 बार यात्रा की है।

दक्षिण भारत की राजनीति में जिन छह क्षेत्रीय दलों का सर्वाधिक वर्चस्व माना जाता है उनमें द्रमुक, अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगू देशम, जनता दल (एस) और भारत राष्ट्र समिति प्रमुख हैं। बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों की स्थिति वहां नगण्य है। हालांकि कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस का शासन है। इससे पहले बीजेपी ने भी तीन बार कर्नाटक की सत्ता संभाली है। वर्तमान में भी बीजेपी पुदुचेरी सरकार में शामिल है। इन राज्यों में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और पुदुचेरी में लोकसभा की कुल 130 सीटें हैं।

ओडिशा में नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी के रूप में वीके पांडियन का उभार हो, या अरविंद केजरीवाल का शराब घोटाले में दक्षिण लॉबी से गठजोड़ हो या रायबरेली से चुनाव लड़कर राहुल गांधी का वायनाड की जनता को अंधेरे में रखना हो, ये सब दक्षिण में चर्चा के मुद्दे इस बार रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी  अपने चुनावी रैलियों में इन मुद्दों के साथ-साथ रेत माफिया, ड्रग माफिया, तमिल सिनेमा में ड्रग के खतरे पर जमकर चर्चा किया है। इलाकाई मतदाताओं के जेहन में अलगाववादी सोच और क्षेत्रवाद के खिलाफ राष्ट्रवाद की भावना लाने में बीजेपी सफल रही हैं। चर्चित इलाकाई मुद्दों की वजह से ही आज प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और हिमंत बिस्व सरमा सरीखे नेताओं का दक्षिण भारत के युवाओं में खासा क्रेज हो गया हैं। मोदी के मजबूत नेतृत्व, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और मुफ्त राशन की कल्याणकारी योजना के चलते भी बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई है। इस तरह ऐसा लगता है कि केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बीजेपी को अपेक्षाकृत अधिक सीटे मिल सकती है। हालांकि अंतिम सच्चाई का खुलासा तो मतगणना में चार जून को ही हो सकेगा।

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