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जयंत का ‘आजम परिवार’ मिलन : मिलाने के लिए या हिलाने के लिए

By Shakti Prakash Shrivastva on April 20, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने रामपुर में बुधवार को अलसुबह कद्दावर सपा नेता आजम खान के घर पहुँच उनके परिवार से मुलाक़ात की। परिवारी जनों में आजम खान की पत्नी डॉ तंजीन फातिमा और उनके बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम से मुलाक़ात के दौरान जयंत ने परिवार और राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की। इस मुलाक़ात के बाद एक अलग किस्म का मुद्दा राजनीतिक गलियारों में बहस-मुबाहिसे का केंद्र बन गया है। कुछ चर्चाकार इस घटना क्रम को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आजम खान की बीच बढ़ती दूरियों वाली खबर को केंद्र में रखकर देख रहे है। जिसमे आजम खान के मीडिया प्रभारी फ़साहद अली खान शानू ने अखिलेश यादव पर मुस्लिमों के साथ धोखा का आरोप लगाते हुए अखिलेश विरोधी बयान दिया था। सिर्फ शानू ही नहीं बल्कि उसके बाद से रोज कही न कही आजम समर्थकों की तरफ से विरोध प्रदर्शन आदि किए जा रहे है। कही आजम समर्थन मे बयान जारी किए जा रहे है तो कहीं खून से खत लिखे जा रहे हैं। ऐसे परिस्थितियों में इस मुलाक़ात को राजनीति के जानकार आज़म का समाजवादी पार्टी से किनारा कसने और राष्ट्रीय लोकदल में शामिल करने की पृष्ठभूमि मान रहे है। यह अलग बात है कि जयंत ने परिस्थितिजन्य रटा-रटाया जवाब दिया कि वो गठबंधन धर्म का निर्वहन मात्र कर रहे है। मेरा इस परिवार से राजनीति से इतर पारिवारिक रिश्ता भी है। आजम खान के समर्थकों की तरफ से अखिलेश विरोधी रवैया तभी से अख़्तियार किया गया है जबसे नेता प्रतिपक्ष की जगह पर अखिलेश ने अपनी ताजपोशी कर ली। समर्थकों को उम्मीद थी कि यह पद आजम खान को दिया जाएगा। इसके पहले से भी समर्थक इस बात को लेकर आहत थे कि अखिलेश या समाजवादी पार्टी आजम के मुद्दे पर उतनी मुखर नहीं रही जितनी उनसे उम्मीद की जा रही थी। दूसरी तरफ कुछ लोग इस तर्क को तवज्जो देते नजर आ रहे है कि जयंत की अखिलेश से ठीक ट्यूनिंग है लिहाजा जयंत, आजम और अखिलेश के बीच उठ रही तल्ख भरी खबरों का पटाक्षेप कराने की कोशिश करने गए थे। यह तो भविष्य के गर्त में है कि जयंत की यह मुलाक़ात अखिलेश यादव और आजम खान के बीच बन रही दूरी को मिलाने के लिए हुई है या समाजवादी पार्टी की बुनियाद हिलाने के लिए। क्योंकि आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य की हैसियत वाले एक बड़े मुस्लिम नेता है। उनका पार्टी से दूर होना कही न कही पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाला साबित होगा। मुस्लिम चूंकि पार्टी का स्थायी वोट बैंक है इसलिए अखिलेश आजम का विछोह कत्तई नहीं चाहेंगे।

 

 

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