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February 7, 2025
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चुनाव दर चुनाव ‘योगी बयान’ ने दिए परिणाम

By Shakti Prakash Shrivastva on August 3, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                          मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को योगी आदित्यनाथ से महंत आदित्यनाथ होते हुए मुख्यमंत्री तक की यात्रा कराने में उनकी कर्तव्य निर्वहन में ईमानदारी,स्पष्टवादिता और बोलने में मुखरता जैसे गुणों का अहम योगदान है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान सदैव गूढ अर्थ वाले और  विश्लेषक होते हैं। पिछले दिनों दिए गए उनके ज्ञानवापी परिसर संबंधी बयान ने प्रदेश सहित देश में सियासी हलचल पैदा करने का काम किया है। खासकर ऐसे समय पर उनका ये बयान आया है जब कुछ महीने बाद ही लोकसभा का चुनाव होने वाला है। लेकिन ऐसा कत्तई नही है कि इससे योगी आदित्यनाथ या उनकी पार्टी बीजेपी को कोई नुकसान होते दिख रहा है। क्योंकि अतीत गवाह है कि चुनाव के दौरान या उसके पहले दिए गए योगी आदित्यनाथ के ऐसे बयानों से कभी बीजेपी को नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही हुआ है।

व्यक्तित्व, सियासी प्रभाव या ग्रहों का खेल इनमें से कारण कुछ भी हो लेकिन गोरखपुर से लगातार कई बार से सांसद रहने वाले योगी आदित्यनाथ 2017 में बदले सियासी हालात में उत्तर प्रदेश जैसे देश की राजनीति में अपना अलग प्रभाव रखने वाले सूबे के मुख्यमंत्री बन जाते हैं। उसके बाद से चुनावी मौसम में उनके द्वारा दिए गए बयानों पर गौर करे तो पूर्व में कही गई बातें स्पष्टतः सच साबित होते नजर आएंगी। मसलन योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला अहम चुनाव 2019 में लोकसभा का होना था। अयोध्या में राम जन्मभूमि का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी ने कुछ इस तरह का बयान दिया था कि राम मंदिर मामले में लोगों का धैर्य समाप्त होते जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट इस विवाद पर जल्द आदेश देने में असमर्थ हैं। इसे हमारे हवाले कर देना चाहिए। 24 घंटे के भीतर इसका समाधान हो जाएगा। हालांकि चुनाव में नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही थी। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान बीजेपी के लिए सोने में सुहागा साबित हुआ। चुनाव में बीजेपी को प्रचंड सफलता मिली। प्रदेश ही नहीं देशभर के राम भक्तों ने जमकर बीजेपी को समर्थन देते हुए मतों का अंबार लगा दिया। चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ 353 सीटों पर जीत दर्ज  की। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 62 सीटें और उसके सहयोगी दलों ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन बीजेपी को 16 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इसमें बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रायबरेली, घोसी, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकरनगर, गाजीपुर, श्रावस्ती, मैनपुरी, सहारनपुर, आजमगढ़, रामपुर और नगीना शामिल हैं। लेकिन उपचुनाव में बीजेपी ने 2 सीट यानी आजमगढ़ और रामपुर में जीत हासिल कर ली। ऐसे में इस वक्त 14 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा नहीं है।

इसके बाद उनके कार्यकाल में दूसरा अहम चुनाव उत्तर प्रदेश विधानसभा का 2022 में हुआ। इस चुनाव में सपा-रालोद  गठबंधन पश्चिमी यूपी में बड़ी मजबूती से खड़ा था। तब योगी ने चुनावी प्रचार के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए एक बयान दिया था कि मुजफ्फरनगर और कैराना में जो लोग गर्मी दिखा रहे हैं। चुनाव परिणाम के बाद उन की गर्मी शांत कर देंगे और मई-जून में शिमला बना देंगे। उनके इस बयान के बाद खूब सियासी जंग हुई। विपक्ष ने चुनाव आयोग से संज्ञान लेने को कहा। लेकिन पश्चिम में योगी आदित्यनाथ के इस बयान को खूब जनसमर्थन मिला। विधानसभा की 136 सीटों में से 93 सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की। जबकि प्रभावी माने जाने वाले सपा-आरएलडी के गठबंधन को मात्र 43 सीटें ही मिलीं। इस तरह सपा, बसपा और रालोद जैसे प्रभावी गठबंधन के बावजूद बीजेपी की प्रचंड जीत हुई। 2023 के प्रस्तावित निकाय चुनाव के पहले प्रयागराज में 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हो गई। विधानसभा सत्र के दौरान सपा ने यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए। मुख्यमंत्री योगी ने विधानसभा में कहा- माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। योगी ने सवाल उठाया- उमेश पाल की हत्या में जिस अपराधी ने घटना को अंजाम दिया। क्या वह समाजवादी पार्टी की ओर से पोषित नहीं किए गए थे? इसके बाद से ही अतीक गैंग पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। निकाय चुनाव में साफ तौर पर देखने को मिला बीजेपी ने 17 में से 17 नगर निगम की सीट, 199 नगरपालिका की सीटों में से 94 सीटें और नगर पंचायत में 196 सीटों पर जीत का परचम लहराया।

इस तरह योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद चुनाव दर चुनाव उनके द्वारा दिए गए बयानों ने बीजेपी को उतरोत्तर अच्छे परिणाम दिए हैं। अब जबकि लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं। ऐसे में सियासी जानकार मान रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर जो कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा। ज्ञानवापी को लेकर ऐतिहासिक भूल हुई है। मुस्लिम समुदाय को इस भूल को सुधारने के लिए आगे आना चाहिए। मुख्यमंत्री के इस बयान का असर न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के परिणाम में देखने को मिल सकता है। अगर यूपी की बात करें, तो हारी 14 लोकसभा सीटों पर लगभग 65 प्रतिशत हिंदू और 35 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। ऐसे में यह बयान चुनावी रुख को बदलने का काम कर सकता है।

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