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निषादों-निषादों में जंग !

By Shakti Prakash Shrivastva on July 27, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                                  बीजेपी के साथ यूपी सरकार में अपना दल एस और निषाद पार्टी सहयोगी है। हाल ही में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ सपा के साथ गठबंधन में शामिल होने वाले सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर भी अब वापस बीजेपी में आ गए हैं। इस तरह उनके आ जाने से अब सरकार की तीन प्रमुख सहयोगी पार्टियां हो गई हैं। लेकिन राजभर के आते ही दूसरे सहयोगी दल निषाद पार्टी की परेशानी बढ्ने लगी है। क्योंकि प्रदेश के जिन हिस्सों में राजभर की पार्टी का प्रभाव है कमोबेश उसी इलाके में निषाद पार्टी का भी प्रभाव है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर निषाद पार्टी का सियासी समीकरण बदलने लगा। पार्टी के भविष्य को लेकर संजय निषाद की पेशानी पर बल पड़ने लगे। इसी बीच बीजेपी के इलाकाई राज्य सभा सांसद जय प्रकाश निषाद ने एक निषाद महाकुंभ का आयोजन कर निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद की समस्या बढ़ाते हुए उनकी नींद उड़ा दी। गोरखपुर में मंगलवार को हुए इस सफल आयोजन में गोरखपुर समेत अगल-बगल के मंडलों से हजारों हजार की संख्या में आए निषादों के बीच जय प्रकाश निषाद ने जमकर हुंकार भरी। इस तरह अब पूर्वाञ्चल में निषाद समाज की रहनुमाई को लेकर दो निषाद नेताओं में खुली जंग की शुरुआत हो गई है। एक तरफ निषादों की रहनुमाई का दंभ भरने वाले संजय निषाद न केवल सरकार में मंत्री व विधान परिषद सदस्य है बल्कि उनका एक बेटा सांसद और एक बेटा विधायक है और उनकी पार्टी सरकार में सहयोगी है। अब निषाद समाज की रहनुमाई करने का वायदा करने वाले एक दूसरे नेता जय प्रकाश निषाद आ गए हैं जो पार्टी के ही राज्य सभा सांसद है। ऐसे में पार्टी के लिए यूं तो दोनों ही अपने है लेकिन उन दोनों में भी एक अपना और एक पराया अपना की श्रेणी में है। जय प्रकाश निषाद के प्रयास को बीजेपी के सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। संजय निषाद की परेशानी अलग किस्म की है। वो जानते हुए भी इसे कहीं व्यक्त करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में इन दोनों निषाद क्षत्रपो की जंग में बीजेपी को सियासी राहत मिलते दिख रही है। हालांकि निषाद महाकुंभ के सफल आयोजन से तिलमिलाए निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद ने जय प्रकाश के लिए यहाँ तक कह दिया कि ‘जय समाजवाद बोलने वाले आज जय निषाद बोल रहे हैं।

संजय निषाद का तिलमिलाना जायज है क्योंकि जिस उर्वरा जमीन का उपभोग बिना रोकटोक वो कर रहे थे जयप्रकाश के रूप में उसका एक और दावेदार खड़ा हो गया है। बकायदे उसने दावेदारी भी मजबूती से पेश कर दी है। महंत दिग्विजयनाथ पार्क में आयोजित जयप्रकाश के महाकुंभ में उमसभरी गर्मी के बावजूद जिस तरह से निषाद समाज के लोगों की भीड़ जुटी थी। उतना संजय निषाद के तिलमिलाने के लिए काफी था। महाकुंभ में संजय निषाद द्वारा समाज के लोगों से खुद की आरती उतरवाने और समाज की बजाय अपने ही परिवार का उद्धार करने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा हुई। जय प्रकाश ने अपने सम्बोधन में भी संजय पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जरूरतमन्द निषाद और मछुआ समाज उपेक्षित है जबकि निषादों की हक दिलाने की राजनीति करने वाला परिवार मलाई काट रहा है। इसपर समाज के लोगों का जमकर समर्थन जयप्रकाश को मिला।  सियासी जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए एनडीए के सभी सहयोगी दल अपने-अपने तरीके से तैयारियां कर रहे हैं। उन्हीं तैयारियों के क्रम में निषाद पार्टी ने भी पिछले 28 जून को मछुआ समाज की 17 उप जातियों को आरक्षण दिलाने को लेकर आरक्षण महा जनसंपर्क की शुरुआत की थी। ऐसा कर पार्टी बीजेपी पर दबाव बनाने की तैयारी भी कर रही थी। ऐसे बीजेपी सांसद जयप्रकाश निषाद के महाकुंभ के आयोजन को निषाद पार्टी के दबाव की काट के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज मंडल के 30 से 35 लोकसभा सीटों पर हार-जीत में निषादों की अहम भूमिका होती हैं। इन्ही सब समीकरणों के आधार पर निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद इस बार दबाव बनाकर पहले की तुलना में गठबंधन की अधिक लोकसभा सीट लेने की फिराक में थे। क्योंकि पिछली बार गठबंधन मे उन्हे एक सीट मिली थी जिस पर उनका बेटा प्रवीण निषाद संतकबीर नगर से बीजेपी सांसद है। लेकिन मौजूदा हालात ये बताते हैं कि अब कहीं न कही संजय निषाद उलटे खासे दबाव में है और उतनी ही बीजेपी दबाव से मुक्त हो गई है।

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