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नीतीश के लिए चिराग का ‘ट्रम्प’

By Shakti Prakash Shrivastva on November 10, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                                बिहार की सियासत में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के लिए लोक जनशक्ति पार्टी सदैव रोड़ा बनती रही है। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान के बाद यह ज़िम्मेदारी उनके पुत्र चिराग पासवान भी निभाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा अभी नहीं हुई है लेकिन सियासी पार्टियां उसके मद्देनजर अपनी तैयारियां ज़ोर-शोर से शुरू कर चुके है। इस क्रम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सुप्रीमो और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने नीतीश का विजय रथ रोकने के लिए उनके गृह क्षेत्र नालंदा में उन्हें घेरने की अनूठी चाल चली है। 8 नवंबर को नालंदा में हुई चिराग पासवान की रैली को इसी नजरिए से सियासी गलियारे में देखा जा रहा है।

2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जनता दल यूनाइटेड की हनक पहली पायदान से सिमटकर तीन नंबर पर पहुँच गयी थी उसके जिम्मेदार लोजपा के चिराग को ही माना जाता है। जबकि सियासी गलियारे में लोजपा की सियासी गतिविधियों को बीजेपी की रणनीति के तौर पर देखा जाता है। नालंदा सीट से जदयू को सीधी टककर में लोजपा ही रहती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने जदयू उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी। उस समय बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ रही जदयू तब बमुश्किल लगभग नौ हजार मतों से चुनाव जीत सकी थी। जदयू उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार तीन लाख 21 हजार 982 मत मिले थे जबकि लोजपा उम्मीदवार सत्यानंद शर्मा को तीन लाख 12 हजार 355 मत मिले थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी लोजपा सांसद चन्दन सिंह की नवादा सीट से अपना उम्मीदवार लड़ाने की इच्छुक है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि इस सीट के एवज में नालंदा और मुंगेर लोकसभा सीट लोजपा को देने का मूड बना रही है। इसी के तहत लोजपा सुप्रीमो नालंदा को प्राथमिकता में रखे हुए है। उन्होने नीतीश को आज नीतीश बनाने में अहम भूमिका रखने वाले सतीश कुमार को यहाँ से बतौर उम्मीदवार उतारने की तैयारी भी कर ली है। हाल के जितने भी लोजपा रैलियाँ हो रही है उसके सूत्रधार सतीश ही बन रहे हैं।

वाम दल से सियासत की शुरूआत करने वाले सतीश कुमार 1990 में सूर्यगढ़ा से विधायक बने और 1995 में समता पार्टी से अस्थावां सीट के विधायक भी रहे। सतीश कुमार कुर्मी चेतना मंच के संयोजक भी थे। इन्हीं के नेतृत्व में 12 फरवरी, 1994 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में कुर्मी चेतना महारैली हुई थी। इस रैली के मंच से ही नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने की पटकथा लिखी गई थी। क्योंकि इसी के बाद समता पार्टी का गठन हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी ने नीतीश से प्रभावित हो उन्हे बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर दिया।

 

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