Responsive Menu
Add more content here...
December 9, 2024
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

हरिशंकर के बाद अब अमरमणि !

By Shakti Prakash Shrivastva on August 28, 2023
0 181 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                            पंडित हरिशंकर तिवारी देश की सियासत में एक ऐसे बाहुबली राजनेता रहे है जिन्हें सियासत में माफियाओं की इंट्री का श्रेय जाता है। पंडित जी के नाम से अपनों सहित देश-दुनिया में विख्यात-कुख्यात हुए हरिशंकर तिवारी के कभी शागिर्द हुआ करते थे नब्बे के दशक के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी। वही अमरमणि जिन्हे हाल ही में लगभग दो दशक तक सजायाफ्ता रहने के बाद सरकार ने कारागार से रिहा किया है। बीच के वर्षों में किन्ही वजहों से भले ही अमर और पंडित जी के बीच रिश्तों में गहरी खाई बन गई थी लेकिन अमर की सियासी नर्सरी पंडितजी की ही बागवानी में तैयार हुई थी। ऐसे में जब पंडितजी इस दुनिया में नहीं रहे और अमरमणि कारागार से बाहर है। सियासी हल्कों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या पूर्वाञ्चल की राजनीति में पंडितजी की तरह अब अमरमणि ब्राह्मणों की सियासत की धुरी बनेंगे।

जहां तक पंडितजी के सर्वमान्य ब्राह्मण नेता होने की बात है तो पंडितजी यूं ही नहीं ब्राह्मणों के चहेते नेताओं में सर्वोपरि रहे। चाहे बाहुबल हो या राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में प्रभावी रहते हुए पंडितजी ने सदैव ब्राह्मण समाज के लिए अपने को सर्व सुलभ रखा। ब्राह्मणों के सम्मान और उनके भरोसे के नाते ही पंडितजी अपराध जगत में क्षत्रिय विरोधी माने जाते रहे। ब्राह्मण और क्षत्रियों के बीच अदावत का ही परिणाम रहा कि अस्सी के दशक में पूर्वाञ्चल में खूनखराबे की चर्चा देश ही नहीं दुनिया भर में खूब हुई। उस समय के प्रभावशाली क्षत्रिय नेता वीरेंद्र प्रताप शाही से पंडितजी की अदावत जग जाहिर थी। दोनों की दुश्मनी में कितने क्षत्रिय और ब्राह्मणों की हत्याएं हुई। क्षत्रियों से खुलेआम विरोध का डंका बजाने वाले पंडितजी यहीं से ब्राह्मण हितैषी मान लिए गए। अपराधी सरगना होने के बावजूद इलाकाई ब्राह्मण उनसे अपने रिश्ते का इजहार करना फक्र समझता था। अपराध जगत में राबिनहुड़ सरीखी छवि बनाने वाले पंडित जी पहले शख्स थे जिनके लिए माफिया शब्द का प्रयोग किया गया। बाहुबल की बदौलत सियासत में पदार्पण करने वाले भी पंडितजी देश में संभवतः पहले नेता थे। माना जाता है कि इन्ही के आने के बाद देश में बाहुबलियों का सियासत में आगमन शुरू हुआ। पंडितजी पहले ऐसे बाहुबली नेता थे जो जेल में बंद रहते हुए न केवल विधानसभा चुनाव लड़े बल्कि जीते भी। समय था 1985 का। इसके बाद सियासत में बाईस सालों तक कोई पंडितजी को चुनौती देने वाला नहीं रहा। पहले निर्दल फिर अन्य दलों से चुनाव लड़ते हुए हरिशंकर तिवारी गोरखपुर के दक्षिणाञ्चल के चिल्लूपार विधानसभा से लगातार विधायक चुने जाते रहे। इस दौरान चाहे कांग्रेस, बीजेपी, सपा, बसपा किसी की भी प्रदेश में सरकार हो सबमें पंडितजी मंत्री रहते थे। कल्याण सिंह से लगायत रामप्रकाश गुप्त, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती। यहाँ तक कि एक दिन वाली जगदंबिका पाल वाली सरकार में भी इनका नाम था। यह क्रम 2007 तक कायम रहा। बाद के दिनों में उम्र गत परेशानियों के चलते घर में सीमित रहे पंडितजी का नब्बे वर्ष की अवस्था में पिछले दिनों निधन हो गया।

अब जबकि राज्य सरकार द्वारा कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी को उनके अच्छे आचरण के चलते रिहा कर दिया गया है। जेल में रहते हुए भी पूर्वाञ्चल में अपनी हनक बनाए रखने वाले अमरमणि के बाहर आने से माना जा रहा है कि इलाकाई सियासत की तस्वीर बदलेगी। पंडितजी के निधन के बाद से रिक्त पड़ी ब्राह्मणों के रहनुमा की जगह अब अमरमणि लें सकते हैं। क्योंकि पंडितजी को ही अपना सियासी गुरु मानकर सियासत में कदम रखने वाले अमरमणि को सियासत के दाँव-पेंच बखूबी पता है। सजायाफ्ता होने के चलते भले ही वो प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव न लड़ सकें लेकिन चुनाव लड़ाने और प्रत्याशी को जिताने का काम तो बखूबी कर सकते है और ये काम वो करेंगे भी। ऐसा कर वो पंडितजी की कमी दूर करने की कोशिश भी करेंगे। लखनऊ में हुए कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के जुर्म में 2007 में अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ सके। ऐसे में अपनी सियासी विरासत बेटे अमनमणि त्रिपाठी को सौंप दी। 2017 में अमन उनकी सियासी सीट नौतनवा से विधायक भी बना। चूंकि अमरमणि का प्रभाव उनके गृह जनपद महराजगंज के अलावा सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर में भी ठीक-ठाक है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हे पर्दे के पीछे से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर लाया जा सकता है। अमरमणि 1989 से लेकर 4 बार विधायक और दो बार सरकार में मंत्री भी रहे। अब आने वाले कुछ दिनों में अमरमणि की सियासती योजना का खुलासा भी हो जाएगा और इस बात का भी एहसास हो जाएगा कि अमर ब्राह्मण समाज की नुमाइंदगी में कितनी रुचि दिखते हैं।

 

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *