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January 14, 2025
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देश में ‘सूरत’ वाली सियासत!

By Shakti Prakash Shrivastva on May 3, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

देश में लोकसभा चुनाव के दो चरणों के मतदान सम्पन्न हो चुके हैं। इस दौरान सियासत में पहली बार कुछ ऐसी घटनाए हो रही है जो भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए बहुत अच्छी नहीं है। क्योंकि मौजूदा सियासत में हर वो चीज जायज करार दी जा रही है जिसमें सियासी फायदा हो। जबकि अतीत में सियासी मर्यादाओं का भी लिहाज किया जाता था। देश में हो रहे सात चरणों वाले आम चुनाव में परिणाम तिथि भले ही चार जून को मुकर्रर की गई है लेकिन देश में एक लोकसभा क्षेत्र ऐसा भी है जहां का बीजेपी प्रत्याशी बिना चुनाव लड़े ही सांसद चुन लिया गया है। हुआ ये कि किन्ही कारणवश बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के उमीदवार का नामांकन निरस्त हो गया। अन्य प्रत्याशियों के अभाव में बीजेपी प्रत्याशी को निर्विरोध लोकसभा क्षेत्र का सांसद चुन लिया गया। यह लोकसभा क्षेत्र है गुजरात का सूरत। कमोबेश लगभग यही स्थिति या ये कह लें कि इसी तरह की सियासत मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट पर होते हुए दिख रही है। यहाँ थोड़ा सा मामला इतर होते हुए भी मूल में वही है। बस सूरत में नामांकन निरस्त हुआ था जबकि इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने स्वेच्छा से अपना नामांकन वापस ले लिया है। यह सब चुनावी प्रक्रिया के अंतिम दौर में हुआ है।

इंदौर में हुआ ये कि इस बार इंदौर संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी के खिलाफ कांग्रेस ने अक्षय कान्ति बम को अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन पीछे की वजह जो भी हो कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने आखिरी दिन अपना नामांकन वापस ले लिया। क्षेत्र में सियासी हालत ये है कि कांग्रेस के पास इंदौर में कोई उम्मीदवार नहीं बचा है। अक्षय कान्त ने बकायदे बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला के साथ जाकरअपना नामांकन वापस लिया है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अक्षय कांति बम पेशे से कारोबारी हैं। ये वही अक्षय कान्ति बम हैं जिन्होंने अपने नामांकन फॉर्म भरने के दौरान यह खुलासा किया था कि वह 14 लाख की घड़ी पहनते हैं। उनकी पत्नी और उनका करीब 87 करोड़ रुपए की संपत्ति है।

पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में इंदौर क्षेत्र में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। कभी कांग्रेस के लिए उर्वरा रहने वाले इंदौर क्षेत्र के किसी भी सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिली थी। ऐसे में बीजेपी प्रत्याशी को टक्कर देने वाला कोई प्रत्याशी काँग्रेस को नहीं मिल रहा था। ऐसे में कांग्रेस ने मजबूरीवश अक्षय कांति बम पर दांव लगाया था। अपना नामांकन दाखिल करने के बाद से ही अक्षय कांति बम पूरे-जोश-खरोश के साथ चुनाव प्रचार में लगे हुए थे। लेकिन जब नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त हो रही थी तो कलेक्ट्रेट जाकर अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया। सियासत के जानकार इसे बीजेपी की सियासी कूटनीति का हिस्सा मानते हैं। बीजेपी की ऐसी ही किसी कूटनीतिक चाल का शिकार हो कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने न केवल अपना नामांकन वापस लिया बल्कि बीजेपी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली है। बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजय वरगीज के साथ सोशल मीडिया पर वायरल फ़ोटो की सियासत में अपने-अपने तरह से व्याख्या की जा रही है। बीजेपी के विरोधी दलों के नेता वैसे भी लगातार बीजेपी पर इस बात का आरोप लगा रहे है कि बीजेपी ऐन-केन प्रकारेण विपक्षी नेताओं को हतोत्साहित कर रही है साथ ही कई एक मामलों में ब्लैकमेल भी कर रही हैं। भले ही विपक्षी नेता प्रतिपक्ष की राजनीति के तहत ऐसा कर रहे हो लेकिन जो घटनाए हो रही है उससे इस बात को बल मिलता है कि उनकी बातों में सच्चाई है। क्योंकि उनके आरोपों को सही साबित साबित करने वाली ऐसी ही घटनाएं हो भी जा रही है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में समूचे मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी महज 28 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। क्योंकि अन्य सीटों पर उनके सहयोगी गठबंधन आइएनडीआइए के घटक दल के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।  खजुराहो लोकसभा सीट को गठबंधन ने सपा के खाते में दिया है। यहाँ भी सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त हो गया है। ऐसे में सूरत के बाद खजुराहो और अब इंदौर ऐसी लोकसभा सीट हो गई है जहां बीजेपी प्रत्याशी के फतह का रास्ता साफ हो गया है। अभी तक सम्पन्न हुए चरणों में मध्य प्रदेश की 12 सीटों के लिए मतदान हो गया है। दो चरण की वोटिंग से पहले कांग्रेस को झटका लगा है। इंदौर में चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग है। इससे पहले कांग्रेस को अक्षय कान्ति बम के रूप में बड़ा झटका लगा है।

 

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