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सदमें में चीनी उद्योग : 477 करोड़ लीटर एथेनाल खरीद के टेंडर में यूपी बाहर

By Shakti Prakash Shrivastva on September 10, 2021
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लखनऊ, (मुख्य संवाददाता)। हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश के बदहाल चीनी उद्योग को एथेनाल के उत्पादन से एक बेहतर भविष्य की आस जग रही थी। ऐसे में भारत पेट्रोलियम द्वारा 477.50 करोड़ लीटर एथेनाल खरीद के लिए निकाले गए टेंडर में यूपी को शामिल नहीं किए जाने से प्रदेश के चीनी उद्योग को करारा झटका लगा है। इसे बड़ा संकट बताते हुए उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने प्रदेश व केंद्र सरकार से गुहार लगायी है।

भारत पेट्रोलियम की तरफ से 27 अगस्त को 477.50 करोड़ लीटर एथेनाल खरीद के लिए एक टेंडर जारी किया गया। इसमें यूपी को शामिल नही किया गया है। इस टेंडर में तमिलनाडु से सबसे ज्यादा 97 करोड़ और मिजोरम-सिक्किम से सबसे कम यानि एक-एक करोड़ लीटर एथनॉल की खरीद शामिल है। केंद्र सरकार की नीति के मुताबिक ऑयल कंपनियां उन राज्यों को एथनॉल खरीद में प्राथमिकता दे रही हैं जहां इसका उत्पादन अनाज से किया जाता है। चूंकि यूपी में इसका उत्पादन गन्ने से किया जाता है इसलिए इसे टेंडर में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि कुछ ऐसे भी राज्यों को शामिल किया गया है जहां शीरे से एथनॉल बनता है। जैसे महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य से मात्र दो करोड़ लीटर की खरीद की बात रखी गई। पिछले कुछ वर्षों से एथनॉल उत्पादन के जरिये उत्तर प्रदेश की चीनी उद्योग को काफी लाभ हो रहा था। प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का एथनॉल इस उद्योग के जरिए बनाया जा रहा है। उद्योगों को हो रहे इस आय से गन्ना किसानों के भुगतान का संकट काफी हद तक हल हो रहा था। अब जबकि खरीद प्रभावित होगी तो इसका सीधा असर गन्ना किसानों के भुगतान पर दिखेगा। इस संदर्भ में प्रदेश के गन्ना एवं आबकारी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी का कहना है कि हमारी बात चल रही है। ये टेंडर उन क्षेत्रों के लिए निकाले गए हैं जहां एथनॉल का उत्पादन कम है और इसे बढ़ावा देना है। फिर हम प्रयास कर रहे है और हमे भरोसा है कि हमारा भी टेंडर बाद में जारी हो जाएगा। उत्तर प्रदेश शुगर मिल एसोसिएशन को चिंता है कि इससे हमारी फंडिंग बंद हो जाएगी जिससे हमारे नए प्रोजेक्ट अधर में फंस जाएँगे। एसोसिएशन के महासचिव दीपक गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में 43 इकाइयां शीरे से एथनॉल बनाती हैं। सरकार ने नई प्रोत्साहन नीति लागू की तो 17 नए प्रोजेक्टों पर और काम हो रहा है तथा सात हजार करोड़ रुपये इन्वेस्ट किया जा रहा है। अब यह इन्वेस्टमेंट फंस जाएगा। बैंक भी फंडिंग रोक देंगे। उन्होंने कहा कि यह यूपी के लिए बड़ा झटका है। बताया कि उप्र. शुगर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पटौदिया ने इस बाबत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी (शुगर) को पत्र भेजा है और इस सारी स्थिति से अवगत कराते हुए इस टेंडर में यूपी को भी शामिल करने की मांग की है। साथ ही इस बाबत यूपी सरकार से भी बात की जा रही है। टेंडर के लिए ऑयल कंपनियों ने एथनॉल खरीद की जो वरीयता सूची बनाई है उसके लिए अंक देने का प्रावधान रखा है। 50 अंक पूर्णांक है। इसमें मक्का आदि से एथनॉल बनाने वाली इकाइयों को 20 अंक, मक्का और चावल के कॉम्बिनेशन को 15, केवल चावल को 10 तथा इसके अलावा अन्य जैसे शीरा आदि से एथनॉल बनाने वाली इकाइयों को केवल 5 अंक दिए जाएंगे। अब यूपी पूरी तरह से शुगर एवं अन्य में शामिल है। ऐसे में यहां की इकाइयों को 5 अंक ही मिलेंगे लिहाजा वो टेंडर की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगे।

 

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