शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव
‘जाके राखों साइयाँ मार सके न कोय’ जीवन के यथार्थ की कड़वी सच्चाई का बोध कराती इन पंक्तियों से संभव है हर व्यक्ति इत्तफाक न रखे लेकिन जिनके सामने इसको प्रमाणित करने वाले उदाहरण हैं वो बखूबी मानते है। ऐसा ही एक उदाहरण है तुर्की का। भूकंप से तबाह तुर्की और सीरिया में लगभग इकतालीस हजार से अधिक लोगों की जान अब तक जा चुकी है। हालांकि लगभग दो हफ्ते बीतने के बावजूद अभी वहाँ बचाव कार्य जारी है। ऐसे में तुर्की के बचावकर्मियों ने विनाशकारी भूकंप के मलबे से लगभग 12 दिन बाद शुक्रवार को 45 वर्षीय एक व्यक्ति को जिंदा निकाला। अब इसे क्या कहेंगे जहां भूखे-प्यासे इतने दिनों बाद मलबे के नीचे भी उस शख्स की साँसे थमी नहीं चलती रहीं। इसे चिकित्सा विज्ञान की अनहोनी माने या दैवीय चमत्कार। कुछ न कुछ तो है।
सीरियाई सीमा के पास एक दक्षिणी प्रांत हाटे में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में लगभग 41 हजार से अधिक लोगों की जान गई है। वहीं भूकंप के 278 घंटों के बाद भी मलबे के नीचे दबा हुआ हकन यासिनोग्लू नाम का व्यक्ति जिंदा बच जाता है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में बचावकर्मी सावधानी से एक व्यक्ति को एक इमारत के खंडहरों के बीच स्ट्रेचर पर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। गिरने से बचाने के लिए उसे स्ट्रेचर से बांध दिया गया और सुनहरे रंग की थर्मल जैकेट से ढक तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया।
अभी इलाके में कई जगहों पर बचाव कार्य चल रहे हैं। ये बचाव कार्य चौबीसों घंटे चल रहे हैं। तुर्की के उप राष्ट्रपति फुअत ओकटे की मुताबिक क्षेत्र में 200 से कम जगहों पर बचाव कार्य चल रहे हैं। भूकंप जैसी दैवीय आपदा ने तुर्की और सीरिया में 41,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है जबकि हजारों अन्य घायल हो हुए हैं। तुर्की के 11 प्रांतों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। मिली जानकारी की मुताबिक तुर्की के अधिकारियों ने कहा है कि तीन प्रांतों अदाना, किलिस और सानलिउर्फा में बचाव कार्य पूरा कर लिया गया है.