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कोरोना पर बड़ा रिसर्च : कोविशील्ड वैक्सीन वालों को महज 7% रिस्क, 93% सुरक्षित

By Shakti Prakash Shrivastva on August 5, 2021
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नयी दिल्ली, (संवाददाता)। कोरोना से बचाव के लिए आज बाजार में कई वैक्सीन उपलब्ध है। लेकिन उनमे सर्वाधिक लोकप्रिय वैक्सीन कोविशील्ड लगवाने वालों के लिए एक राहत भरी खबर है। खबर ये है कि इस वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके लोगों में कोरोना यानि ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन का महज 7 प्रतिशत का रिस्क रह जाता है। ये भी कह सकते है कि उन्हें कोरोना होने की संभावना 93 प्रतिशत कम हो जाती है। ये परिणाम आर्म्ड फ़ोर्सेज मेडिकल कालेज द्वारा सशस्त्र बलों के 15.9 लाख वर्कर्स पर किए गए एक स्टडी के अन्तरिम नतीजे में सामने आया है।

वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में इस वैक्सीन का असर जानने के लिए पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (AFMC) ने सशस्त्र बलों के लगभग 15.9 लाख हेल्थ केयर वर्कर्स (HCW) और फ्रंटलाइन वर्कर्स (FLW) पर एक शोध किया। इसके तहत इनमें कोवीशील्ड के दोनों डोज लेने के बाद होने वाला कोरोना यानी ब्रेक-थ्रू इन्फेक्शन (Breakthrough Infection) 93% कम पाया गया है। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (AFMC) की यह स्टडी दुनिया में अब तक की सबसे बड़ी स्टडी मानी जा रही है। फिलहाल इसके अंतरिम नतीजे जारी किए गए हैं। शोध करने वालों की मुताबिक अब तक जितनी भी स्टडी हुई उनका सैंपल साइज 10 लाख से कम था। इसलिए हम मानते हैं कि विन-विन कोहोर्ट (VIN-WIN cohort) संभवतः वैक्सीन प्रभावशीलता पर दुनिया भर में हुए सबसे बड़े अध्ययनों में से एक है। कोवीशील्ड, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के AZD-1222 फॉर्मूलेशन का मेड इन इंडिया वैरिएंट है। साथ ही यह भारत में चल रहे कोविड -19 वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन में इस्तेमाल हो रही प्रमुख वैक्सीन में से एक है। इस शोध की मुताबिक देश में वैक्सीनेशन के बावजूद कोरोना होने की दर तकरीबन 1.6% है। यानी देश में पूरी तरह वैक्सीनेटेड 1000 लोगों में 16 लोगों को दोबारा कोरोना हो सकता है। किसी शख्स को वैक्सीन की दोनों डोज लगने के दो सप्ताह के बाद ही पूरी तरह वैक्सीनेटेड माना जाता है। ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन की दर का अंदाज लगाने वाली एक स्टडी चंडीगढ़ पीजीआई ने भी की है और यह मशहूर द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (The New England journal) में पब्लिश हुई है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में डेल्टा वैरिएंट का कहर देखा गया था, ये स्टडी उसी वक्त की गई है।” भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हुई। जिसमें सबसे पहले आर्म्ड फोर्सेज के हेल्थकेयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगी थी। यह स्टडी 30 मई तक वैक्सीन लगवा चुके इन्हीं 15.9 लाख वर्कर पर हुए वैक्सीन की प्रभाव पर आधारित अंतरिम विश्लेषण है। इस स्टडी में शामिल 15,95,630 लोगों की औसत आयु 27.6 साल थी जिसमें 99% पुरुष थे। 135 दिन से अधिक चली इस स्टडी में शामिल वॉलंटियर्स में से 30 मई तक 95.4% लोगों को सिंगल डोज और 82.2% लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी थी। इस स्टडी में शामिल लोग टीकाकरण के चलते अनवैक्सीनेटेड (UV) से पार्शियली वैक्सीनेटेड (PV) और वहां से फुली वैक्सीनेटेड (FV) कैटेगरी में शिफ्ट होते रहे। इस तरह हर कैटेगरी में लोगों की संख्या रोज बदलती रही। अब चूंकि हर शख्स तीनों कैटेगरी यानी UV, PV और FV में अलग-अलग समय के लिए रहा, इसलिए रिसर्च के लिए जोखिम रहे लोगों की संख्या को नापने के लिए विशेष इकाई पर्सन-डे को अपनाया गया। इसके मुताबिक किसी कैटेगरी में 50 पर्सन-डे का मतलब होगा कि 50 लोग 1 दिन के लिए उस कैटेगरी में रहे या 1 शख्स 50 दिनों तक उस कैटेगरी में रहा। इस महीने की शुरुआत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने तमिलनाडु के पुलिस विभाग, ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक वैक्सीन की सिंगल डोज भी 82 प्रतिशत तक प्रभावी है और दोनों डोज लेने वालों में कोरोना के खिलाफ प्रभावशीलता 95% तक हो जाती है। महाराष्ट्र में मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के डायरेक्टर के अंडर में 20 सरकारी कोविड सेंटर पर हुई एक स्टडी के मुताबिक कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले 87.5 प्रतिशत लोग वो थे, जिन्हें वैक्सीन लगी ही नहीं थी। स्टडी के को ऑथर और आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल रजत दत्ता का कहना है कि इस स्टडी के रिजल्ट कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की इफेक्टिवनेस के बारे में बताते हैं। जिन लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह का कोई संदेह है तो उसे दूर करने में यह स्टडी मददगार साबित हो सकती है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल की मुताबिक वैक्सीनेशन संक्रमण से बचने की पूर्ण गारंटी नहीं है, वैक्सीन लेने के बाद भी आपको कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ कोई वैक्सीन पूर्ण गारंटी नहीं देती, लेकिन ये जरूर है कि संक्रमण के गंभीर परिणामों से आपको बचाती जरूर है।

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