Responsive Menu
Add more content here...
April 24, 2025
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

निकाय चुनाव पर HC का फैसला आया, UP सरकार की सांसत बढ़ाया

By Shakti Prakash Shrivastva on December 27, 2022
0 251 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का बहुप्रतीक्षित फैसला आखिरकार आज आ ही गया। चुनाव कराने में फंसे आरक्षण संबंधी पेंच को सुलझाने के लिए मामला हाईकोर्ट में पहुंचा था। इसकी सुनवाई तारीख दर तारीख रास्ता तय करते हुए 24 दिसंबर को पूरी हो गयी थी  जिसका फैसला 27 दिसंबर को सुनाते हुए कोर्ट ने OBC आरक्षण के बगैर ही चुनाव कराने को कहा। फैसले के मुताबिक सभी आरक्षित सीटें जनरल मानी जाएंगी। इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम को देखते हुए प्रदेश सरकार की सांसत बढ़ गयी है।

प्रदेश की मौजूदा लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजनीति जिस आरक्षण के कंधों पर लद कर ही अपनी यात्रा तय करती रही है। उसके बगैर या उसके बगैर सहारे नया रास्ता ढूँढना बहुत आसान नही है। यही वजह है कि कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया आ गयी। उन्होने कहा कि प्रदेश में पहले OBC आरक्षण देंगे, फिर चुनाव कराएंगे। अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने आरक्षण पर आयोग गठित किए जाने की भी बात की। कोर्ट ने अपने 87 पृष्ठीय फैसले में सरकार की तरफ से जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया है। माननीय न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को चुनाव जल्दी कराने चाहिए। यह भी कहा कि बगैर ट्रिपल टेस्ट के कोई आरक्षण तय नहीं होगा।

रायबरेली के सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पाण्डेय की जनहित याचिका पर आए इस फैसले को सरकार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इस मामले में बहस 24 दिसंबर को ही पूरी हो गई थी। कोर्ट ने निकाय चुनावों से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 27 दिसंबर तक फैसला सुरक्षित कर लिया था। UP सरकार के अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और मुख्य स्थाई अधिवक्ता अभिनव नारायन त्रिवेदी द्वारा राज्य सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। इस टेस्ट में जानना होगा कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति कैसी है? उनको आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं? उनको आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं? यह भी कहा कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त सवाल करते हुए पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ओबीसी आरक्षण को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई तो उसका पालन क्यों नहीं किया गया?

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *