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निकाय में आरक्षण का मुद्दा और अखिलेश का नया दांव

By Shakti Prakash Shrivastva on December 29, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में होने वाला स्थानीय निकाय चुनाव फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश और राज्य सरकार के अनुपालन प्रक्रिया के बीच उलझ गया है। इस स्थिति को लेकर राज्य में सियासी घमासान सा मच गया है। हर राजनीतिक दल इस स्थिति को अपने लिए अवसर में बदलने को बेताब है। क्या सपा, बसपा, कांग्रेस और क्या सत्तारूढ़ बीजेपी सभी अपने-अपने तरीके से इसके लिए रणनीति बना रहे है। हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ ने जैसे ही 27 दिसंबर मंगलवार को निकाय चुनाव के बाबत आरक्षण संबंधी अपना फैसला सुनाया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पहले आरक्षण फिर चुनाव कराने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं महज चौबीस घंटे के भीतर आनन-फानन में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग यानि ओबीसी आयोग का गठन भी कर दिया और आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे एसएलपी यानि स्पेशल लीव पेटीशन भी दाखिल कर दिया। राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय आयोग गठित किया है। यह आयोग हाईकोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार राज्य में आरक्षण संबंधी नीतियों का निर्धारण करेगी जिस पर निकाय चुनाव कराए जा सकें। लेकिन सरकार की इस तेजी पर प्रमुख विपक्षी दल सपा के मुखिया अखिलेश ने भी तुरंत पलटवार करते हुए अपना नया दांव चल दिया। उन्होंने यह घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी इस बाबत न केवल गाँव-गाँव जाएगी बल्कि लोगों को यह बताएगी भी कि सरकार ने साजिश के तहत कोर्ट में सही तथ्य नहीं प्रस्तुत किए। अखिलेश के इस नए दांव के तहत अभियान के रूप में पार्टी विधानसभा क्षेत्रवार आरक्षण बचाओ संविधान बचाओ यात्रा निकालने जा रही है। इस यात्रा के जरिए पार्टी पिछड़ो और दलितों को गोलबंद करेगी। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव बीजेपी पर लगातार यह आरोप लगाते रहे है कि बीजेपी संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है। पार्टी उनके इस आरोप को हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देकर जनता के बीच सबूत के रूप में पेश करेगी। यही बात सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने भी कही कि बीजेपी के संविधान विरोधी होने का इससे इतर किसी और सबूत की जरूरत नहीं है। वह गाँव-गाँव जाकर लोगों को बताएंगे कि किस तरह से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान में किए गए प्रावधानों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पार्टी विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि इस आंदोलन के बहाने पिछड़े वर्ग के नेताओं को लामबंद किया जाएगा। बीजेपी का साथ देने वाली पिछड़े वर्ग की जातियों को भी लक्ष्य बनाया जाएगा। उन्हे बताया जाएगा कि बीजेपी के इशारे पर नौकरशाही आरक्षण को समाप्त करने की किस तरह साजिश रच रही है।

इस मामले में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि आज आरक्षण विरोधी बीजेपी निकाय चुनाव में आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज बीजेपी ने पिछड़ों का आरक्षण छीना है। कल बीजेपी बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ो और दलितों को सपा का साथ देने की अपील की है। समय बताएगा कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का यह नया दांव पार्टी हित में कितना कारगर साबित होगा।

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