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नीतीश का कांग्रेस दर्द

By Shakti Prakash Shrivastva on November 2, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                            बड़े ही उत्साह और जग जीतने जैसे भाव के साथ देश के विपक्षी पार्टियों ने कुछ महीनों पहले मिलकर आईएनडीआईए गठबंधन बनाया था। जिसका पूरा नाम इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस है। अभी तक इस गठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं। पहली बैठक पटना दूसरी बंगलुरु और तीसरी मुंबई मे हुई थी। इन बैठकों के बावजूद अभी तक इस गठबंधन का कोई संयोजक नहीं चुना गया है। इसके पहले कांग्रेस की अगुवाई में बनी यूपीए यानि यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलाइन्स की संयोजक श्रीमती सोनिया गांधी स्वयं हुआ करती थी। गठबंधन के संयोजक का नाम न तय होने की वजह से लगातार इस बात के कयास सियासी गलियारे में लगाए जाते रहे है कि गठबंधन में अंदरखाने कुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्योंकि नीति निर्धारकों को इस बात का भय है कि किसी नाम विशेष पर अन्य में असंतोष पनप जाएगा। जबकि इस गठबंधन की नींव ही केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बाहर करने के उद्देश्य के लिए पड़ी। और ऐसा जताया गया कि सभी दल इस बार एक है और उद्देश्य की पूर्ति के लिए हर तरह का त्याग भी करने को तैयार हैं। लेकिन जो हालात दिख रहे हैं उससे तो कहीं से भी ये गठबंधन बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। क्योंकि लोकसभा तो दूर की चीज है। हो रहे पाँच प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में ही गठबंधन के सदस्य आपस में जूतमपैजार करने को तैयार हैं। मध्यप्रदेश में सीटों के बँटवारे को लेकर जो कुछ भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच हुआ उसकी गठबंधन बनाते वक्त किसी नेता ने सोचा भी नहीं होगा।

बहरहाल अब तो स्थितियाँ और बदतर होती जा रही है। कई सीटों पर गठबंधन के सहयोगी ही एक-दूसरे के सामने से चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं। पहले समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ स्टैंड लिया फिर वाम दल, आम आदमी पार्टी और अब जनता दल यूनाइटेड ने भी तल्खी जाहिर कर दी है। जनता दल यूनाइटेड नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ शब्दों में कहा है कि कांग्रेस को विपक्षी एकता से कोई मतलब नहीं है। अपने लिए उन्होने कहा कि हम तो सबको एकसाथ लेकर चलते हैं। बाकी कांग्रेस अभी चुनावों में व्यस्त है और उसका कोई इंटरेस्ट नहीं है। कांग्रेस को सीधे तौर पर निशाने पर रखते हुए उन्होने कहा कि आईएनडीआईए गठबंधन तो बन गया है लेकिन गठबंधन को लेकर कांग्रेस की कोई रुचि नहीं है। बल्कि वो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम मे हो रहे विधानसभा चुनावों में अपना फोकस रखे हुए है। यही वजह है की गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है। चुनावों के बाद ही अब गठबंधन की बैठक बुलाई जाएगी। इस अभिव्यक्ति के दौरान नीतीश का दर्द साफ-साफ झलक रहा था। नीतीश के इस दर्द का सियासी गलियारे में जमकर समीक्षा हो रही है। सियासत के जानकारों का मानना है कि नीतीश के इस दर्द को गठबंधन का बैरोमीटर माना जा सकता है। जो यह साफ-साफ संकेत देता है कि इन पाँच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों ने विपक्षी एकता की ऐसी-तैसी कर दी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, वाम दल नेताओं के बाद अब जदयू नेता नीतीश कुमार का यह दर्द गठबंधन की सच्चाई बयां करने के लिए काफी है। यह साफ लग लग रहा है कि गठबंधन के अंदरखाने वाकई बहुत कुछ ठीक नहीं है। आनेवाले लोकसभा चुनाव में यह स्थिति बीजेपी के लिए मुफीद साबित होगी।

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