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May 13, 2025
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समाजवादी पार्टी की तारणहार बनीं डिम्पल!

By Shakti Prakash Shrivastva on November 21, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में रिपोर्ट सुनने के लिए आडियो बटन पर क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

मैनपुरी लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव ने आखिरकार चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच की तल्ख दूरियाँ खत्म कर दी है। जो शिवपाल पिछले दिनों सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर न केवल लड़े बल्कि जीत कर विधायक भी बने। बाद में अखिलेश के रवैये से आहत होकर दूर-दूर रहने लगे थे। अपनी पार्टी प्रगतिशील समाज पार्टी को मजबूत करने में जुट गए थे। आज महज बहू डिम्पल यादव के इस चुनाव में उसके व्यवहार के चलते न केवल अखिलेश के साथ खड़े हैं बल्कि डिम्पल को चुनाव जिताने के लिए हर संभव प्रयास करने में जी-जान से लगे हुए हैं। हालांकि अखिलेश में भी पूर्व की तुलना में बदलाव आया है। अखिलेश ने तो चुनावी मंच से कहा भी है कि चाचा-भतीजे में कभी दूरियाँ नही थी, थी तो सिर्फ राजनीति में। अब वो भी दूर हो गयी है। इस तल्ख दूरियों के कम होने के नाते अब सपा पार्टी कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त उत्साह है। उत्साहित कार्यकर्ताओं को अब लगता है कि पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी की अपनी इमेज बदलनी चाहिए। उसे ईमानदारी से राष्ट्रीय पार्टी बनने के किए जा रहे प्रयासों को और गंभीरता से अंजाम देने चाहिए।

इस बाबत कार्यकर्ताओं के बढ़ते विश्वास को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने भी राष्ट्रीय पार्टी का स्वरूप पाने के क्रम में देश के अधिकतर राज्यों में चुनाव में उतरने की रणनीति पर प्रभावी प्रयास शुरू कर दिया है। अभी गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी बड़े दम-खम के साथ 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन दुर्भाग्यवश 10 सीटों के उम्मीदवारों के पर्चे किन्ही कारणवश खारिज हो गए। लिहाजा उसके 20 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बीच एक लंबे अरसे से कभी दूर तो कभी नजदीक होने जैसा एहसास कराने वाले चाचा-भतीजे के रिश्ते के आखिरकार एक होने से पार्टी के कार्यकर्ता सहित नेतृत्व तक में उत्साह का संचार हुआ है।

पार्टी नेतृत्व अब सीधे-सीधे भाजपा को ललकार रही है। इस क्रम में अपने चुनाव प्रचार के दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव लगातार इस बात का एहसास करा रहे हैं कि मैनपुरी उप चुनाव पर समूचे देश की निगाहें लगी हुई है। यदि यहाँ भाजपा हारती है तो पूरे देश में उसकी हार का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसलिए प्रचार में अखिलेश के अलावा शिवपाल और रामगोपाल समेंत डिम्पल यादव भी लगातार इस बात की चर्चा कर रही हैं। राष्ट्रीय पार्टी बनने की ललक में पार्टी की रणनीति स्पष्ट है। राज्यों में चुनाव लड़ने के साथ-साथ पार्टी राज्यों में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन किये जाने का भी योजना बना रही है। पार्टी का मानना है कि यदि और राज्यों में पार्टी के विधायक जीतते हैं तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को उसका फायदा मिल सकता है। अपने पहले चरण के प्रयास के तहत गुजरात की 182 सीटों में 20 पर सपा प्रत्याशी ताल ठोंक रहे हैं। गुजरात के अलावा पार्टी ने मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों में से 50 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई गई है। यहां जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन भी शुरू हो गए हैं। इसमें यूपी के नेताओं को भी भेजा जा रहा है। सपा महाराष्ट्र में निरंतर चुनाव लड़ती रही है। यहां पार्टी के विधायक और सांसद भी हैं। लिहाजा महाराष्ट्र की तर्ज पर ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में भी पार्टी नेताओं को चुनावी तैयारी तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।

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