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योगी मंत्रिमंडल विस्तार : मंत्री नहीं प्रचारक बनाए गए!

By Shakti Prakash Shrivastva on September 26, 2021
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार का बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार आखिरकार रविवार की शाम सम्पन्न हो गया। मंत्रिमंडल का यह विस्तार ऐसे समय में किया गया जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में महज चंद महीने शेष हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी कि सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे समय में करना पड़ा। इस विस्तार में बने नए मंत्रियों को जब तक शासन और सरकार का ककहरा समझ में आएगा तब तक उन्हे चुनाव प्रचार में जाना पड़ जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बने मंत्री सरकार में बहैसियत मंत्री कम पार्टी के प्रचारक ज्यादा साबित होंगे।

जानकारों की माने तो इस बार नए मंत्रियों को सरकार के साथ काम के लिए लगभग तीन महीने का वक्त मिलेगा। इस समय की मियाद 26 सितंबर की शाम से लेकर जनवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक कि हो सकती है। क्योंकि इसी दौरान प्रदेश मे विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने की उम्मीद है। आचार संहिता लागू होते ही कोई विकास का नया काम सरकार द्वारा किए जाने पर रोक लग जाएगी। ऐसे समय में इन नए मंत्रियों के पास सरकार के विकास संबंधी कार्य की बजाय पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करना ही रह आएगा। हालांकि पार्टी और सरकार दोनों ही इस स्थिति को जानते-समझते है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल विस्तार कर एक तीर से एक-दो नहीं कुल पाँच निशाने साधे है। पहला तो ये कि बार-बार विस्तार टालने से पैदा हुई हाइकमान की नाराजगी साधना, दूसरा प्रदेश में असंतुष्ट ब्राह्मणो को मनाना, तीसरा क्षेत्रीय असंतुलन को दुरुस्त करना, चौथा जातीय समीकरण ठीक करना और पाँचवाँ सहयोगी दलों की शिकायतों को दूर करना। ये सब योगी आदित्यनाथ ने बखूबी इस विस्तार से पूरा किया है। योगी ने ब्राह्मणो की नाराजगी कम करने के लिए जहा हाल में ही पार्टी में शामिल हुए कद्दावर कांग्रेसी नेता व पूर्व सांसद जितिन प्रसाद को न केवल मंत्रिमंडल में शामिल किया बल्कि उन्हे विस्तार इकलौता कैबिनेट मंत्री बनाया। क्षेत्रीय असंतुलन ठीक करने के लिए पूर्वाञ्चल के गाजीपुर की विधायक संगीता बलवंत बिन्द और रूहेलखण्ड से छत्रपाल गंगवार को मंत्रिमंडल में तवज्जो देकर न केवल असंतुलन ठीक किया बल्कि बिन्द और गंगवार जाति को प्रतिनिधित्व का अवसर दिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल से पिछले दिनों बाहर किए गए मंत्री संतोष गंगवार के बाद जाति विशेष की पार्टी से थोड़ी तल्खी थी उसे दूर करने की एक कोशिश की गयी। पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार से लगभग दो साल एक महीने बाद किए गए इस विस्तार में 3 ओबीसी, 2 दलित, एक एससी और एक ब्राह्मण चेहरे को स्थान दिया गया है। बलरामपुर से पल्टूराम, सोनभद्र के ओबरा से संजीव कुमार, मेरठ के हस्तीनापुर से दिनेश खटीक, हाथरस से धर्मवीर प्रजापति, बरेली के बहेड़ी से क्षत्रपाल गंगवार और शाहजहाँपुर से जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया है। राजनीति के जानकारों के इस बात में दम नजर आता है कि नए बने मंत्रियों का इस्तेमाल सरकार चलाने से ज्यादा पार्टी के अपने जाति विशेष और प्रभाव वाले क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कराने में ज्यादा किया जाएगा।

 

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