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INDIA गठबंधन में अभी से रार

By Shakti Prakash Shrivastva on September 14, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

             अभी घोसी उपचुनाव परिणाम आए कुल एक हफ्ता भी नही बीता कि INDIAगठबंधनकेसहयोगी साथियों का आपसी  मनमुटाव सामने आने लगा है। घोसी जीत के बाद पहली बार मऊ पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी को खूब खरी-खोटी सुनाई। जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि सपा की कथनी और करनी में फर्क है। सियासत के जानकार कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान से हतप्रभ हैं। उनका मानना है कि अभी INDIAगठबंधन को अस्तित्व में आए जुमा-जुमा कुछ महीने ही हुए हैं। लोकसभा चुनाव के पहले छः प्रदेशों के कुल साथ सीटों के लिए हुए उपचुनावों में चार सीटों पर खासकर सबसे प्रतिष्ठपरक यूपी की घोसी सीट पर मिली विजय से उत्साहित गठबंधन के घटक दल अभी खुशी मना ही रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के इस बयान ने सपने टूटने सा एहसास करा दिया। अभी तो विपक्षी दलों का यह गठबंधन अपना संयोजक नहीं तय कर पाया है और न ही आपस में सीटों का बंटवारा ही निश्चित कर पाया है कि बीच में विरोध के स्वर जनता के बीच सुनाई देने लगा है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि अजय राय ने ऐसे ही यह बयान दिया है। बल्कि कहीं न कहीं कांग्रेस के अपने चुनावी रणनीति के तहत भी ऐसा हो सकता है। क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस राष्ट्रीय फ़लक पर एक मजबूत विपक्ष के तौर पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है उसी तरह से प्रदेश के स्तर पर समाजवादी पार्टी ही है जो बीजेपी की आँख में आँख डालकर मजबूती से प्रतिपक्ष के रूप में खड़ा है। हालांकि कांग्रेस फिलहाल उत्तर प्रदेश में अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। कई-कई बार प्रदेश में सरकार बनाने वाली कांग्रेस आज विधायकों की संख्या दहाई में हो इसकी मोहताज है। विधानसभा में महज दो विधायक है जबकि उच्च सदन विधान परिषद में उसका प्रतिनिधित्व ही नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जब गठबंधन के साथियों के बीच सीटों के बँटवारे को लेकर बातचीत होगी। तो कांग्रेस को कहीं न कहीं इसी समाजवादी पार्टी के रहमोकरम पर सीटों में हिस्सेदारी मिलनी है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश होगी कि प्रदेश में आक्सीजन के रूप में उसे ज्यादा से ज्यादा सीटें मिल जाए लेकिन सपा ऐसा कर अपना हक नहीं गवाएगी। बल्कि वो इस बाबत अतीत के परिणाम और समीकरणों को आधार बनाएगी जिससे कांग्रेस को बैकफुट पर आना मजबूरी बन जाए। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही संभव है कि श्री राय का तेवर वाला यह बयान भी दबाव की सियासत का हिस्सा हो। क्योंकि सियासत में सब जायज है और इतना तो हुआ ही है कि अजय राय के बयान ने प्रदेश में सियासी तापमान बढ़ा ही दिया है।अपने सम्बोधन में अजय राय नेअखिलेश यादव को निशाने पर रखते हुए यहाँ तक कह दिया कि घोसी जीतने वाले किसी भ्रम में ना रहें।

उन्होंने कहा कि हाल ही में घोसी सहित सात सीटों पर उपचुनाव हुए। उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर अगर समाजवादी पार्टी साथ देती तो कांग्रेस प्रत्याशी की वहाँ जीत होती। श्री राय ने कहा कि बागेश्वर में सपा का कोई अस्तित्व नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने प्रत्याशी उतारा।जबकि बागेश्वर में हमारी हार मात्र 1600 वोटों से हुई है। जबकि समाजवादी पार्टी प्रत्याशी को वहाँ 2200 वोट मिले थे। यानि अगर गठबंधन धर्म का निर्वहन सपा वहाँ करती तो हमारी जीत निश्चित थी। जबकि दूसरी तरफ घोसी में कांग्रेस पार्टी ने अपने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए समाजवादी पार्टी को पूरा सहयोग दिया। नतीजा सबके सामने है। सपा प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार को रिकार्ड बड़े अंतर से हराया। ऐसे में हम कह सकते हैं कि समाजवादी पार्टी का दोहरा चरित्र है। श्री राय ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि आज देश और प्रदेश की तानाशाह सरकार के खिलाफ जनता की आवाज बनकर कांग्रेस पार्टी सड़क पर है। हमें प्रदेश की जनता, छात्र, बेरोजगार, गरीब और मजलूमों का समर्थन मिल रहा है लिहाजा 2024 की लोकसभा चुनाव में हर हाल में कांग्रेस की जीत होगी।

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