Responsive Menu
Add more content here...
February 7, 2025
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

सपा में समाजवाद नहीं अब अगड़ा-पिछड़ा!

By Shakti Prakash Shrivastva on February 20, 2023
0 198 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

समाजवादी पार्टी जिस समाजवादी विचारधारा को लेकर गठित की गई थी वो डॉ राम मनोहर लोहिया, जनेश्वर मिश्र सरीखे समाजवादियों की विचारों से ओतप्रोत थी। लेकिन समय के साथ-साथ ऐसा लगता है कि अब उसका चाल-चरित्र बदल रहा है। खासकर हालिया कुछ सियासी गतिविधियों पर नजर डालें तो इन बातों को बल मिलता है। जैसे पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा हिन्दू धर्मग्रंथ रामचरित मानस की चौपाइयों पर किए टिप्पणियों से उपजे विवाद पर ऐसा देखने में आया कि जिन-जिन पार्टी नेताओं ने स्वामी प्रसाद का विरोध किया उन्हे पार्टी ने अपने निशाने पर लिया। कुछ को तो बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया।

पार्टी की एक प्रवक्ता डॉ रोली तिवारी मिश्र और सुश्री ऋचा सिंह को स्वामी पर टिप्पणी करने के नाते ही बिना कारण बताए उनकी अतीत की सेवाओं को भुलाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इससे ऐसा लगता है कि प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर स्वामी प्रसाद को सपा सुप्रीमो द्वारा खुला समर्थन दिया जा रहा है। सियासी जानकारों की माने तो ऐसा बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है। पार्टी अब आने वाले दिनों में समाजवाद की बजाय पिछड़ों और दलितों को साथ लेकर सियासी सफर तय करना चाहती है। वो एक तरफ तो बीजेपी से प्रभावित पिछड़ों को फिर से अपने साथ करना चाहती है वही प्रदेश में दलितों की हिमायती पार्टी बहुजन समाज पार्टी की कमजोर स्थिति को देखते हुए उसके दलित वोट बैंक को भी अपने पाले में कर लेना चाहती है। इन्ही सब समीकरणों को साधने के लिए ही न केवल स्वामी प्रसाद मौर्य को चाचा शिवपाल के बराबर महासचिव का ओहदा दिया गया बल्कि उनको ऐसे सियासी शब्दावली और विवाद गढ़ने की छूट भी दी गई।

अभी तक पार्टी के जिन कद्दावर नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य की मुखालिफत की है उनमें अधिकांशतः सवर्ण समाज से है। जैसे प्रवक्ता डॉ. रोली तिवारी मिश्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुश्री रिचा सिंह, पूर्व विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विनय शंकर तिवारी, पूर्वमंत्री और अयोध्या से विधायक रहे तेज नारायण पाण्डेय आदि। अब देखना है इन दो नेताओं के निष्कासन के बाद पार्टी अन्य नेताओं पर क्या कार्रवाई करती है। करती भी है या नहीं। पार्टी के रणनीतिकारों के इस कार्यवाहियों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि पार्टी कहीं न कहीं अपने मूल विचारों से भटक रही है। क्योंकि समाजवाद में जाति, लिंग, धर्म आदि के लिए कोई जगह नहीं होती। लेकिन राजनीति में फिलहाल सब जायज है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *