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बेसहारा बुजुर्ग : बेटों व बेटी ने नहीं दिया सहारा, लखनऊ में यूरिन बैग हाथ में लटकाए भटकने को मजबूर रामेश्वर प्रसाद

By Shakti Prakash Shrivastva on September 30, 2022
0 275 Views

https://spotifyanchor-web.app.link/e/tXPzyLQdKtb

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में रिपोर्ट सुनने के लिए आडियो बटन पर क्लिक करें।

औलादें हों तो बुढ़ापे की क्या चिंता जैसी लाइनें आज के संदर्भ में बेमानी हो गयी है। खासकर लखनऊ के 85 वर्षीय रामेश्वर प्रसाद तो इससे बिल्कुल इत्तफाक नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि मेरे तो दो बेटे चार-चार बेटियाँ हैं फिर भी मैं आज इस उम्र में हाथ में यूरिन बैग लटकाये दर-दर भटकने को मजबूर हूँ। सच्चाई ये है कि जब रामेश्वर प्रसाद सक्षम थे तो बच्चों को पाला-पोसा, शादी-ब्याह किया। लेकिन अब जब उनके हाथ-पैर शिथिल हो रहे हैं तो उनको सहारा देने के लिए उनके अपनों के पास उनको मदद करने की बजाय चार शिकायतें हैं।पुराने टिकैतगंज में उनका खड़े मसाले का अच्छा-खास कारोबार था। समय के साथ वो बंद हो गया। घर के लिए अनुपयोगी हो चुके रामेश्वर प्रसाद आज अपने ही बच्चों के लिए बोझ हो चुके हैं।

समाज में घर-घर की कहानी बनती जा रही है।

आँख से झरझर बहते आंसुओं को रोकने का कोई प्रयास किए बगैर वो बताते है कि बेटों की मारपीट से तंग आ चुका हूँ। एक दिन मुझे मारकर बेटे ने घर से बाहर कर दिया। आस लगाए बिटिया के घर गया। उसने भी घर के दरवाजे मेरे लिए यह कह कर बंद कर दिया कि जब बेटें हैं तो उनके पास जाएँ मैं क्यों रखूँ। अपने भाग्य पर सिवाय अफसोस करने के मेरे पास कुछ नहीं है। बाजारखाला पुलिस चौकी पर यह दर्द बयान करते बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद की यह कहानी समाज में घर-घर की कहानी बनती जा रही है।

अब मैं मरते दम तक यहीं रहूँगा।

बढ़ती उम्र के चलते बुजुर्गों की कमजोर होती याददाश्त, व्यवहार परिवर्तन आज की नई पीढ़ी को रास नही रही है। उन्हें लगता है कि ये बुजुर्ग उनकी जिंदगी में अब बाधा बन रहे हैं।  एक सामाजिक संस्था 181 वन स्टाप सेंटर की टीम की मदद से रामेश्वर प्रसाद ने पुलिस को अपने बेटों के खिलाफ  तहरीर दी। सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बेटे विजय और बृजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। संस्था ने ही उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचाया। वृद्धाश्रम में श्री प्रसाद ने बहुत संतोष जाहिर करते हुए कहा कि अब मैं मरते दम तक यहीं रहूँगा।

पिछले छः महीने में कुल 350 मामले हेल्पलाइन पर दर्ज किए गए है।

बुजुर्गों की सहायता के लिए संकल्पित संस्था गाइड समाज कल्याण संस्थान की प्रमुख डॉ. इंदु सुभाष ने सीनियर सिटीजन एक्ट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पहले सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत पिता-माता को प्रताड़ित करने पर बेटा-बेटी कानून के दायरे आते थे। 2019 में इसमें  संशोधन करते हुए सौतेले बच्चों, दत्तक बच्चों, पुत्रवधू आदि को भी इसके दायरे में कर दिया गया है। इसमें 10 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे ज्यादा का भी भुगतान करने का निर्देश न्यायाधिकरण बच्चों को दे सकता है। तीन से छह महीने का कारावास या 10 हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। संशोधन विधेयक के मुताबिक सास-ससुर व दादा-दादी को भी प्रताड़ित करने पर यह दंड दिए जाने का प्रावधान है। बदलते समय में बुजुर्गों के प्रति घर ही नही घर के बाहर के लोगों का जो नजरिया बदल रहा है ये शुभ नही है। आंकड़ों की मुताबिक प्रदेश में पिछले छः महीने में कुल 350 मामले हेल्पलाइन पर दर्ज किए गए है। इनमें सर्वाधिक मामले बेटे-बहू के हिंसा करने, खाना न देने या फिर संपत्ति हड़प लेने जैसी हैं।

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