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September 11, 2024
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वाराणसी में हरा हुआ गंगा का पानी, रिपोर्ट तैयार

By Shakti Prakash Shrivastva on June 11, 2021
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वाराणसी, (संवाददाता)। आदिकाल से वाराणसी में निर्मल, स्वच्छ और नीले रंग का दिखने वाला गंगा नदी के पानी का रंग इन दिनों हरा हो गया है। नदी के पानी के रंग को लेकर चिंतित जिला प्रशासन ने इसकी जांच कराई है।  हालांकि नित्य गंगा स्नान करने वालों का मानना है कि ऐसा नदी में हरे शैवाल के आ जाने से होता है। इसे भी लेकर जांच हुई है कि आखिर ये शैवाल आ कहाँ से रहे है।

जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम ने इस बाबत रिपोर्ट तैयार किया है। प्रथम दृष्ट्या शैवाल के बारे में जानकारी मिली कि ये विंध्याचल के एसटीपी से बहकर आ रहे हैं। पांच सदस्यीय जांच कमेटी की मुताबिक विंध्याचल में पुरानी तकनीक से बने एसटीपी से यह शैवाल बहकर वाराणसी आ रहे हैं। पिछले दिनों हुई बरसात में इनकी संख्या काफी ज्यादा थी। इस बाबत जिम्मेदारों पर कार्रवाई के लिए भी शासन को भी रिपोर्ट भेजी जा रही है। शैवाल की समस्या नदी के जलस्तर मे कमी और अपेक्षित प्रवाह न होने पर भी होती है। माना जा रहा है कि जलस्तर बढ़ने के साथ ही यह समस्या दूर हो जाएगी। पिछली साल भी मिर्जापुर के लोहिया नदी से ये शैवाल गंगा में आए थे। शैवालों के कारण गंगा का इकोसिस्टम पर संकट खड़ा हो गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्राथमिक जांच में भी यह बात सामने आई थी कि गंगाजल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा निर्धारित मानकों से ज्यादा हो गई है। बीएचयू में इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैज्ञानिक डॉ कृपाराम की मुताबिक जल में युट्रोफिकेशन प्रक्रिया होने से एल्गी ब्लूम (हरे शैवाल) बनते हैं। ऐसा तब होता है जब जल में न्यूट्रिएंट काफी बढ़ जाते हैं। इस कारण गैर जरूरी स्वस्थ जीवों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होती है। ऐसे में शैवालों को प्रकाश संश्लेषण करने का सबसे उपयुक्त वातावरण मिलता है। तब पानी में ऑक्सीजन कम होने लगता है, जिससे बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) सबसे पहले प्रभावित होती है। इससे पानी का रंग गहरा हरा हो जाता है।

 

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