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September 11, 2024
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गोरखपुर में बिना हैंडपंप चलाये निकल रहा है पानी, अचरज में हैं लोग

By Shakti Prakash Shrivastva on September 3, 2021
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गोरखपुर, (संवाददाता)। गोरखपुर के नौसढ़ क्षेत्र में इन दिनों कई एक घर ऐसे है जहां हैंडपंप चलाये बगैर उससे पानी निकल रहा है। चौंकाने वाली खबर होते हुए भी चौंकने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ऐसा किसी टोना-टोटका या किसी दैवीय चमत्कार जैसी किसी घटना की वजह से नहीं हो रहा है बल्कि ऐसा राप्ती नदी की बाढ़ की वजह से हो रहा है। अभी भी आप सोच रहे होंगे कि बाढ़ के पानी से इसका क्या संबंध लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा होता है जब कुछ दूरी पर अधिक समय तक पानी इकट्ठा रह जाता है तो सीपेज हो कर दबाव के चलते बोरिंग या हैंडपंप से स्वतः पानी आने लगता है।

इन दिनों यह सच्चाई है कि गोरखपुर जिले में क्या नगर क्या देहात हर तरफ बाढ़ की वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। राप्ती, रोहिन, गोर्रा, घाघरा और आमी जैसी नदियां अपने खतरे के निशान को लांघ गयी हैं। शहर से सटे बहने वाली राप्ती नदी की बाढ़ की वजह से उसके किनारे बसे नौसढ़, पथरा, चपरा और कठउर जैसे गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। महेवा से कठउर की तरफ जाने वाली सड़क पर एक तरफ नदी का पानी भरा है। कई दिन से जमा पानी सीपेज के कारण सड़क के दूसरी तरफ बसे गांवों में भरने लगा है। जब गुरुवार की सुबह पथरा और कठउर गांव में सड़क के बगल में बने घरों में सीपेज के चलते फर्श पर पानी बहने लगा। चिंतित होने की स्थिति तो तब हो गयी यहां हैंडपंपों से स्वत: ही पानी आने लगा। इलाके में पानी के रिसाव की ऐसी स्थिति से ग्रामीणो में अफरा-तफरी मच गयी। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्काल बचाव कार्य शुरू कराया। हैंडपंप से स्वतः पानी आने के बाबत सिंचाई विभाग के अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता और इन दिनों गोरखपुर विश्वविद्यालय कुलपति के तकनीकी सलाहकार इंजीनियर ए पी सिंह की मुताबिक यह स्वाभाविक घटना है। जब भी कभी जलजमाव या किसी भी वजह से कहीं पर अधिक दिनों तक पानी इकट्ठा रह जाता है तो वहाँ अगल-बगल या नजदीकी प्रभाव के क्षेत्र में सीपेज और दबाव के चलते ऐसा हो सकता है। इस इलाके मे पहली बार ऐसा हुआ इसलिए लोगों का चौंकना जायज है लेकिन उन्हे घबड़ाने की जरूरत नहीं है। शहर के बाहरी हिस्से खासकर नदी के प्रभावित इलाकों की स्थिति गंभीर है। पानी इस कदर भरा है कि लोग छतों पर या फिर सड़क के किनारे शरण लिए हुए हैं। कठउर गांव निवासी राजू, महरानि, बबलू आदि ने बताया कि सड़क के दूसरी तरफ बाढ़ का पानी भरा होने के चलते उनके घरों में भी रिसाव हो रहा है। इस गांव के प्राथमिक विद्यालय में बरामदे की ऊंचाई तक पानी भरा हुआ है। यही हाल नदी के पश्चिम-दक्षिण तरफ बसे नौसढ़ क्षेत्र में भी है। नदी का जलस्तर बांध की ऊंचाई के बराबर पहुंच जाने के चलते लोग सहमे हुए हैं। एकला बांध के किनारे जो क्षेत्र अभी बाढ़ से बचे हैं वहां भी हैंडपंप व बोरिंग से स्वत: पानी बाहर गिर रहा है। लोग सड़क से घर तक जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं। ग्रामीण चुम्मन, राजेश, रामबहाल, सुंदरी, जयेश आदि का कहना है कि अभी तक प्रशासन की तरफ से उन लोगों की मदद के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। राप्ती नदी का जलस्तर 1998 की बाढ़ के समय जैसा हो गया है। शहर से होकर गुजरने वाली इस नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 2.23 मीटर ऊपर पहुंच गया है। यदि 33 सेंटीमीटर जलस्तर और बढ़ गया तो बांधों के कटने का खतरा रहेगा। साल 1998 में राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 2.56 मीटर ऊपर पहुंचा था तो बाढ़ ने तबाही मचाई थी।

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