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सख्ती के बावजूद क्यों हो रही है देवरिया-कानपुर जैसी घटनाएं

By Shakti Prakash Shrivastva on October 8, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                  उत्तर प्रदेश का यूँ तो अस्सी के दशक से ही अपराध और अपराधियों के साथ चोली-दामन का साथ रहा है। इसके लिए देश ही नहीं दुनिया भर में उसे जाना जाता था। उसी दौरान एक समय ऐसा भी था जब प्रदेश के पूर्वाञ्चल के शहर गोरखपुर को भारत का शिकागो और क्राइम कैपिटल जैसे नामों से भी पुकारा जाता था। लेकिन पिछले लगभग एक दशक खासकर जबसे प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है तबसे स्थितियाँ बदली हैं। सरकार बनते ही जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने अपराध और अपराधियों के लिए कडा रुख अख़्तियार किया उसका असर जमीन पर अब दिख रहा है। प्रदेश भर में कुख्यात अपराधियों के खिलाफ बुलडोजरी कार्रवाई से अपराधियों में भय का वातावरण बना है। शुरुआत में ही योगी आदित्यनाथ ने तो यहाँ तक ऐलान कर दिया था की या तो अपराधी अपराध छोड़ दें या फिर प्रदेश छोड़ दें। इन्ही सभी वजहों से आज प्रदेश न केवल दंगा मुक्त है बल्कि संगठित अपराध से भी निजात पा चुका है। लेकिन यहाँ यह बात गौर करने योग्य है कि जब इतना कानून व्यवस्था चाक-चौबंद है तो फिर देवरिया हत्याकांड और उसके बाद कानपुर में हुए वारदात जैसेनृशंस आपराधिक कृत्य कैसे हो जा रहे है।

ऐसी घटनाओं के जमीनी विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इन अपराधों का वास्तविक आधार परिस्थिति जन्य है और एक हद तक प्रतिक्रिया स्वरूप है। पूरे प्रदेश स्तर पर मिल रहे आंकड़े इस बात की चुगली करते हैं कि अधिकांश हत्यायेँ या तो जमीनी विवाद के चलते हो रही हैं या आशनाई के चक्कर में हो रही हैं। व्यावहारिक तौर पर इसमें ये देखा गया कि यदि पुरानी अदावत है और जमीन या आशनाई सरीखा कोई मामला भी बन जाता है तो आपराधिक कृत्य हो जा रहे हैं। ये कृत्य प्रतिक्रियात्मक होने के चलते नृशंस भी हो रहे है। ऐसे वारदातों के बाबत वरिष्ठ मनोविज्ञानी डॉ रीना मालवीय का मानना है कि देवरिया या कानपुर या और भी इस तरह की जितनी भी घटनाए हो रही है वो व्यक्तिगत एवं संघर्ष उत्पन्न कुंठा का परिणाम होती हैं। जबकि इसका दूसरा कारण यह भी है कि सत्ता के साथ रहने वालों में सत्ता यानि पावर से उत्पन्न अहम की भावना के कारण वो दूसरों के व्यवहार को अपने अनुसार नियंत्रित करने एवं मोड़ने की जब कोशिश करता हैं तो ऐसे में सामने वाला भी कभी-कभी हिंसक व्यवहार कर जाता हैं।

मसलन देवरिया में दो अक्तूबर की अलसुबह हुई घटना को ही लें तो इस घटना में दोनों पक्षों के बीच जमीन को लेकर विवाद था। किसी संयोग या कारणवश दबंग प्रेमचंद यादव अपने दुश्मन यानि सत्यप्रकाश दुबे के घर पहुँच जाता है। चूंकि दोनों के बीच की दुश्मनी जगजाहिर थी। और यह भी सत्य है कि सत्यप्रकाश कोई दबंग नहीं था ऐसे में जब बातचीत के दौरान कोई बात प्रेमचन्द को नागवार लगती है तो दबंग यादव की दबंगई प्रतिक्रियास्वरूप उजागर हो जाती है और वो दुबे को कई थप्पड़ मार देता है। इस बात पर बौखलाए दुबे के परिवार वाले फसल काटने वाली दराँती (एक प्रकार का हंसिया) से प्रेमचंद पर हमला कर देते है। गुस्से में वार यादव की गर्दन पर ऐसी जगह पड़ता है कि मौके पर ही तुरंत उसकी मौत हो जाती है। इस स्थिति की कल्पना भी दुबे परिवार को नहीं थी लिहाजा डर के मारे जल्दी से किसी तरह लाश को सभी मिलकरघर से दूर कर देते हैं। अचानक हुए इस अनापेक्षित घटना से परिवार इतना घबरा जाता है कि वो यह भी नहीं सोच पाता है कि मौके से भाग जाए। उन्हे लगता है कि बाड़ी घर से दूर है किसी को शक नहीं होगा कि घटना उन्ही के द्वारा की गई है। बाद मे प्रेमचंद केमृत शरीर की स्थिति देखआक्रोशित परिवार के लोगों को जब यह पता चलता है कि घटना दुबे परिवार ने किया है फिर क्या था सभी गुस्से में दुबे के घर पर धावा बोल देते हैं। दरवाजा तोड़ते हुए जो जहा मिला उसे अपने आक्रोश का शिकार बनाते हैं। जिसमें मौके पर पाँच लोगों की मौत हो जाती है जबकि एक घायल अभी भी जिंदगी मौत से जूझते हुए गोरखपुर मेडिकल कालेज में इलाजरत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान लिए जाने पर जांच हुई तो पता चला कि मामला ऐसे जमीनी विवाद से जुड़ा हुआ है। जिसे कई बार आई जी आर एस पोर्टल सहित हर निपटारे वाले फोरम पर दिया गया था लेकिन लाल फीताशाही के चलते मामला निस्तारित करने के बजाय उसको उलझाए रखा गया और परिणाम मे 6 जाने चली गईं। इस मामले में अब शासन ने कार्रवाई करते हुए आधे दर्जन से अधिक पुलिस,  प्रशासन और राजस्वसे जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाइयाँ की है।इस घटना के ठीक तीन दिन बाद इसी तरह की एक दूसरी वारदात कानपुर देहात में होती हैजहां बीते गुरुवार की देर रात जमीन के मालिकाना को लेकर दो पक्षों में बात इतनी बढ़ जाती है कि एक पक्ष दूसरे पर हमलावर हो जाता है। मारपीट में दूसरे पक्ष के आधे दर्जन लोग घायल हो जाते हैं जिनका कानपुर के हैलेट अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि इलाजरत घायलों में दो की मौत भी हो गयी है।

कानपुर देहात के गजनेर थाना क्षेत्र के शाहजहापुर निनाया निवासी रमवीर विश्वकरमा को सरकारी आवास मिला हुआ था। गाँव में एक जमीन पर निर्माण के लिए उन्होने कुछ निर्माण सामग्री जमीन के निकट ही रखवाई थी। गाँव का ही मोहन शुक्ला उस जगह को अपनी बताते हुए वहाँ अपना लोडर खड़ा करने लगा। विवाद बढ़ा लेकिन गाँव के लोगों के पहुँचने पर शांत हो गया। लेकिन रात 11 बजे मोहन शुक्ला कुछ लोगो के साथ जाकर सो रहे रामवीर पर हमला कर देता है। बड़े भाई सत्यनारायन समेत और लोगों के बीच-बचाव करने पर हमलावरों ने सत्यनारायण, रामवीर की पत्नी मधु, बेटी काजल, बेटे बीनू, सोनू को लाठी डंडों व कुल्हा़ड़ी से विधिवत मारते हैं। मारपीट के बाद इलाजरतघायलों में दो की मौत भी हो गई है । तीन दिन के अंतराल पर घटी एक ही किस्म की दूसरी वारदात ने अधिकारियों के हाथ-पाँव फुला दिये हैं। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। एसपी बीबीटीजीएस मूर्तिऔर एएसपी राजेश पांडेय मामले को मानीटर कर रहे हैं।देवरिया और कानपुर के इन दोनों ही मामलों में पुलिसिया जांच चल रही है लिहाजा इनकी कहानी में कुछ तथ्य बदल भी सकते हैं।  इन दोनों ही मामलों में कारण एक है जमीनी विवाद और ऐसे  विवाद पूरे सूबे में है। इस तरह के विवाद मूलतः पुलिस और राजस्व विभाग की लापरवाही के चलते अमूमन होते है। यहाँ भी देर सबेर संलिप्त लोगों पर गाज गिरेगी जैसे देवरिया कांड में हुई । लेकिन वारदात होने पर प्रशासनिक कार्रवाइयों की गाज गिरना क्या समयाओं का हल है और अगर नहीं है तो इसका वास्तविक  हल शासन सत्ता को ढूँढना होगा। वरना यूं ही सूबे के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी वारदाते होती रहेंगी और शासन-प्रशासन ऐसी कार्रवाइयाँ करता रहेगा।

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