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CM के सपनों का गोरखपुर : स्टील और बिजली उत्पादन के साथ-साथ रोजगार सृजन भी करेगा ‘अंकुर उद्योग (स्टील)’

By Shakti Prakash Shrivastva on November 25, 2022
0 176 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में रिपोर्ट सुनने के लिए आडियो बटन पर क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

पूर्वाञ्चलनामा न्यूज, गोरखपुर। भारतीय जनता पार्टी के सबका साथ-सबका विकास सरीखे एजेंडे के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वाञ्चल को लेकर अपना एक अलग सपना भी है। जो उन्होंने गोरखपुर लोकसभा सीट का दो दशकों तक प्रतिनिधित्व करते हुए और उससे भी अधिक समय से नाथ संप्रदाय के प्रसिद्ध गोरक्षपीठ से अपने जुड़ाव के दौरान देखा था। अब जब बाबा गोरक्षनाथ की कृपा और सूबे की पच्चीस करोड़ अवाम के विश्वास की बदौलत उन्हे अवसर मिला है तो उसे वो ईमानदारी से साकार करने में प्रयासरत हैं। उनके इस प्रयास में गोरखपुर का अंकुर उद्योग समूह भी अपनी सहभागिता निभा रहा है। हाल ही में सहजनवा तहसील स्थित गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र में अंकुर उद्योग समूह की तरफ से नई फैक्ट्री अंकुर उद्योग (स्टील) की स्थापना की गई है। इस नवस्थापित फैक्ट्री में इंटीग्रेटेड स्टील का उत्पादन किया जाएगा। इसके साथ-साथ बिजली उत्पादन भी होगा। हजारों की तादाद में प्रत्यक्ष और कई हजार अप्रत्यक्ष रोजगार भी इस इकाई की बदौलत सृजित होगी।

मुख्यमंत्री की मंशानुरूप सूबे को एक ट्रिलियन की इकोनोमी वाला प्रदेश बनाने में सहयोगी साबित होने वाले इस इकाई में प्रतिदिन लगभग 900 टन स्टील सरिया (इंटीग्रेटेड) का उत्पादन किया जाएगा। समूह के मुखिया अशोक जालान की मुताबिक फैक्ट्री की औपचारिक शुरूआत अगले महीने प्रस्तावित है। इलाके में सरिया उत्पादन क्षेत्र में पहले से जालान और गैलेन्ट सरीखे उत्पादक मौजूद थे। जिनमे इंटीग्रेटेड स्टील उत्पादन में गैलेन्ट के बाद अंकुर उद्योग दूसरी सबसे बड़ी इकाई है। हालांकि ये अन्य से तकनीकी के लिहाज से अत्याधुनिक और उन्नत है। लगभग दो वर्ष पूर्व से बन रही इस इकाई की लागत लगभग साढ़े पाँच सौ करोड़ है। अब यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गई है।

खदानों से कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेलवे की तरफ से यहाँ रेल साइडिंग भी बनाई गई है। फैक्ट्री में संस्थापित सभी मशीनों का टेक्निकल परीक्षण भी पूरा कर लिया गया है। फैक्ट्री में कच्चे माल के रूप में खदान से प्राप्त लौह अयस्क कोयला आदि का इस्तेमाल किया जाएगा। इसे ही प्रोसेस कर इससे इंटीग्रेटेड स्टील बनाया जाएगा। इस दौरान उत्सर्जित होने वाली गैस से बिजली का उत्पादन भी किया जाएगा। फैक्ट्री में 30 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी। फैक्ट्री में प्रत्यक्ष तौर पर जहां लगभग 800 लोगों को रोजगार मिलेगा वही अप्रत्यक्ष तौर पर यह आंकड़ा कई हजार के लगभग होगा। श्री जालान की मुताबिक नवनिर्मित इस इकाई में स्टील उत्पादन की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से इसके उत्पाद की गुणवत्ता भी बाजार के पूर्ववर्ती उत्पादों से बेहतर होगी। अभी तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में लखनऊ से लेकर वाराणसी तक के स्टील बाजार को छत्तीसगढ़ और बिहार के स्टील उत्पादकों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस फैक्ट्री के क्रियाशील होने पर बाहर के बाजार पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते बाजार की कीमत पर भी कुछ न कुछ नियंत्रण दिखेगा। जो आम उपभोक्ता के हित में होगा।

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