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October 8, 2024
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घोसी में जीत दिलाएगा ये ‘समाज’ !

By Shakti Prakash Shrivastva on August 30, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                          उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सपा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई घोसी विधानसभा के लिए उपचुनाव की दुदुंभी बज चुकी है। यहाँ 5 सितंबर को मतदान होना है। चुनाव प्रचार में बीजेपी और सपा दोनों ने अपना सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रचार शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगायत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक के सभी स्टार प्रचारी समर में उतर चुके हैं। क्योंकि यहाँ मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और सपा के ही बीच है। घोसी विधानसभा क्षेत्र की जातीय समीकरणों समेत सियासी परिस्थितियाँ भले ही सपा को यहाँ बीजेपी पर भारी मान रही है लेकिन बीजेपी ने भी यहाँ अपनी मजबूती के लिए जरूरी ताना-बाना चाक चौबन्द कर लिया है। यहाँ बीजेपी ने जमीनी आंकड़ों की जमीनी सच्चाई के आधार पर उस समाज पर अपना फोकस रखा है जिसके रुख पर चुनाव परिणाम तय हो सकता है।

सियासी जानकार घोसी में हो रहे इस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में भी देख रहे है। यही वजह है कि प्रदेश की दोनों ही प्रमुख सियासी दलों बीजेपी और सपा के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा बन चुकी है। घोसी विधानसभा क्षेत्र की जातीय आबादी पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहाँ मुस्‍लिम मतदाता लगभग 90 हजार हैं, दलित 70 हजार, यादव 56 हजार, राजभर 52 हजार और चौहान मतदाता लगभग 46 हजार हैं। इस आधार पर चुनावी मुकाबले के मुख्य प्रतिभागी दलों सपा और बीजेपी के बीच कुछ ऐसे समीकरण बन रहे है जिससे दोनों ही कमोबेश कांटे की लड़ाई में दिख रहे हैं। कांग्रेस और बीएसपी जैसी पार्टियां इस बार चुनाव में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस का भले ही होने न होने का कोई खास असर नहीं है लेकिन बीएसपी के न होने का मतलब है। बीएसपी के न होने से दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जातियों में उसके मतदाताओं के दोनों ही दलों में बँटने की संभावना है। इस स्थिति में मुस्लिमों को छोड़ अन्य जाति वाले मतदाताओं में किन्ही वजहों से अगर सपा का पलड़ा भारी है तो वहीं बीजेपी के समीकरण भी बहुत कमजोर नहीं है। मुस्लिम आबादी इस चुनाव में एक बड़ा फैक्टर बना हुआ है। क्योंकि उसकी 90 हजार के लगभग की बड़ी आबादी किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है। मुस्लिम मतदाताओं का रुझान हालांकि पूर्व की भांति सपा के साथ होना माना जा रहा है लेकिन बीजेपी मुस्लिमों के एक बड़े तबके पसमांदा मुसलमानों को रिझाने में लगातार लगी हुई है। ऐसा प्रयास उसके द्वारा पिछले दो सालों से किया जा रहा है। इस क्रम में इन दिनों बीजेपी के मंत्री और अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा घोसी विधानसभा सीटों में प्रबुद्ध सम्मेलन किया जा रहा है। मुसलमानों को रिझाने के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों में एक कार्यक्रम प्रधानमंत्री की मन की बात भी रहा। पीएम मोदी के मन की बात को किताब की शक्ल में उसका उर्दू अनुवाद करके मुसलमानों में बांटा भी गया। इतना ही नहीं दल के स्टार प्रचारक मुस्लिम समुदाय के बीच में जाकर उन्हे सरकार के किए गए कामों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। क्योंकि उनको यह अच्छी तरह मालूम है कि यदि इनमें से कुछ प्रतिशत मतदाताओं को वे अपनी पार्टी के साथ लाने में कामयाब हो गए तो चुनाव परिणाम पक्ष में जाने की गारंटी दे सकता है। पसमांदा मुसलमानों में सैफी, अंसारी, अल्वी, कुरैशी, मंसूरी, इदरीसी, सलमानी, रायन, भटियारा, मोची, मनिहार, पैमादी, गुर्जर, राजगीर, गद्दी, मेवाली, रंगरेज, भड़भूजा, नालबंद, धोभी, शाह, फकीर, हम्माल, जुलाहा जैसी 20 से अधिक जातियों पर बीजेपी की गिद्ध दृष्टि है। बीजेपी को इस बात को पूरा भरोसा है कि ये पसमांदा समाज उसके साथ आकर न केवल इस उपचुनाव में जीत दिलाएगा बल्कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश के उन 29 लोकसभा पर मजबूती देगा जहां उसका प्रभाव है।

2022 के पिछले विधानसभा चुनाव में घोसी सीट पर दारा सिंह चौहान ने बतौर सपा प्रत्याशी जीत हासिल किया था। लेकिन वही दारा इस बार सपा छोड़ बीजेपी का दामन थामते हुए फिर से चुनाव मैदान में है। इस बार वो सपा की बजाय बीजेपी के उम्मीदवार हैं। पिछले चुनाव में दारा सिंह चौहान को कुल 1,08,430 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के विजय राजभर को 86,214 मत प्राप्त हुए थे। इसके साथ ही BSP के प्रत्याशी वसीम इकबाल को कुल 54,248 वोट मिले थे।घोसी विधानसभा उपचुनाव का परिणाम 8 सितंबर को आना है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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