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February 7, 2025
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भारी साबित नहीं हुई हाथी!

By Shakti Prakash Shrivastva on June 3, 2024
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                                                                                      शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

देश की सियासत में बहुजन समाज पार्टी का अस्तित्व भले ही बहुत प्रभावी नहीं रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश के संदर्भ में उसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। यही वजह है कि सियासी गलियारे में कभी उसे बीजेपी की बी टीम तो कभी खेल बिगाड़ने वाली पार्टी के तौर पर भी पहचान मिलती रही है। पिछली बार उसके इसी प्रभाव के चलते सपा ने गठबंधन किया था लेकिन इस बार बीएसपी किन्ही रणनीतिक कारणों से किसी भी गठबंधन में शामिल न रहते हुए अकेले ही चुनाव मैदान में उतरी। लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों पर बीएसपी ने अपना उम्मीदवार उतारा। सभी सीटों पर बराबर प्रभाव न होते हुए भी बीएसपी ने कुछ सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय बनाने में कामयाब जरूर हुई। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में घोसी और गाजीपुर सीटों पर बीएसपी का हाथी सब पर भारी पड़ी थी। लेकिन इस बार बदले समीकरणों में उसका पिछले प्रदर्शन दोहरा पाना बहुत आसान नहीं है। मतदान के बाद मीडिया में आ रहे एकजिट पोल वाली रिपोर्ट पर यकीन करे तो बीएसपी अनुमान की मुताबिक प्रदेश में भारी साबित नहीं हो सकी। हालांकि अभी वास्तविक चुनाव परिणाम आना बाकी है। वो 4 जून को आएगा।

प्रदेश में पिछला लोकसभा चुनाव सपा और बीएसपी ने मिलकर लड़ा था। पूर्वाञ्चल की तेरह सीटो की अगर बात करे तो बीएसपी ने पांच सीटों पर और सपा ने आठ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। गाजीपुर में 51.2 फीसदी और घोसी में 50.3 फीसदी वोट शेयर के साथ बीएसपी को जीत मिली थी। जबकि देवरिया में 32.57 फीसदी, बांसगांव में 40.57 फीसदी और सलेमपुर में 38.52 फीसदी वोट शेयर के साथ हाथी को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। ये आंकड़े बताते हैं कि गठबंधन का बीएसपी को फायदा मिला था। गाजीपुर में पार्टी के निवर्तमान सांसद अफजाल अंसारी इस बार सपा से चुनाव मैदान में हैं, जबकि घोसी के सांसद अतुल कुमार सिंह को बीएसपी से निकाला जा चुका है। देवरिया से विनोद कुमार जायसवाल चुनाव लड़े थे। बांसगांव से सदल प्रसाद चुनाव लड़े थे जबकि इस बार सदल सपा की तरफ से गठबंधन प्रत्याशी बन गए हैं। सलेमपुर में आर एस कुशवाहा चुनाव मैदान में थे इस बार पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उतरा है। गाजीपुर से डॉ. उमेश कुमार सिंह और घोसी से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान पर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भरोसा जताया है।

हालांकि चुनाव में अच्छा परिणाम पाने के लिए बीएसपी ने प्रत्याशियों के चयन में सोशल इंजीनियरिंग का बखूबी इस्तेमाल किया। लेकिन चुनाव परिणाम ही बता सकेंगे कि हाथी की चाल कैसी रही। हालांकि एकजिट पोल रिपोर्ट ने तो इसको बहुत तवज्जो ही नहीं दिया है। मतलब हाथी इस चुनाव में भारी नही साबित हो सकी।

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