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January 16, 2025
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इस बार और मजबूत हुआ लोकतंत्र!

By Shakti Prakash Shrivastva on June 4, 2024
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                                                                                       शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

भारतीय लोकतंत्र की देश ही नहीं दुनिया भर में चर्चा होती है। चर्चा इसलिए होती है कि लगभग 96.8 करोड़ भारी-भरकम मतदाताओं वाले देश में शांति से चुनाव के द्वारा सत्ता का हस्तानान्तरण हो जाना अपने आप में औरों के लिए मिसाल है। इस बार यानि 2024 में 18 वीं लोकसभा का चुनाव हाल ही में सम्पन्न हुआ है। लगभग चवालिस दिनों तक चले इस चुनाव को भारत निर्वाचन आयोग की देख-रेख में कराया गया। आयोग ने प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए इस बार 7 चरणों में इसे सम्पन्न कराया। मतगणना परिणाम ने अगली सरकार का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है। हालांकि इस बार आयोग के सामने कई तरह की दुरूह चुनौतियाँ थीं। गर्मी के मौसम की रिकार्ड तोड़ तपिश सहित देश के कुछ हिस्सों में चक्रवातीय तूफान जैसे विपरीत मौसम में इतने लंबे अवधि तक चले मतदान अभियान में मतदाताओं का उत्साह दुनिया को भारतीय लोकतंत्र की ताकत का एहसास कराने के लिए काफी है। इतना ही नहीं इस दौरान बड़ी-बड़ी सियासी रैलियाँ, रोड शो समेत सियासी दलों और उनके नेताओं के जनसम्पर्क कार्यक्रमों में भी पूरे उत्साह से मतदाताओं की बढ़-चढ़ कर उपस्थिती लोकतंत्र के उज्जवल भविष्य को दर्शाता है।

अमूमन ऐसा देखा गया है कि जब लंबी अवधि में चुनावी प्रक्रिया सम्पन्न कराई जाती है तो उसमें जनता की परेशानियाँ बढ़ जाती है। जैसे चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही विकास संबंधी जनोपयोगी कार्य लगभग रुक से जाते है। इस बार के चुनाव को ही देखें तो लगभग छः हफ्ते से भी ज्यादा समय में लू के थपेड़ों और भीषण गर्मी से न केवल जनता परेशान रही बल्कि बहुतेरे चुनाव प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारी-अधिकारी भी मुश्किलों में रहे। कइयों की जान भी चली गई। लंबे समय की वजह से मतदाताओं में उदासीनता भी देखी गई है। हाल के लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत में आ रही गिरावट को लोग इसी चशमें से देखते हैं। हालांकि इसके दूसरे पहलू पर विचार करना भी समीचीन होगा। चुनाव आयोग के सामने सकुशल चुनाव कराने की जिमीदारी होती है इसे बखूबी अंजाम देने के लिए चुनावी प्रक्रिया में समय अधिक रखना उनकी व्यावहारिक जरूरत बन जाती है। क्योंकि उससे उन्हे कानून-व्यवस्था नियंत्रण सहित कई तरह के प्रशासनिक प्रबंधन में सहूलियत होती है। पुराने रिकार्ड भी इसकी तसदीक करते हैं। पहले चुनाव के दौरान पूरे देश के अलग-अलग हिस्से से हिंसक वारदातों की खबरे सुनने-देखने को मिलती थी। लेकिन जब से चुनाव आयोग ने इस तरह के प्रयोग किये। चुनाव के दौरान छिटपुट हिंसा को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो कहीं से किसी अप्रिय बड़ी घटना की सूचना नहीं मिल रही है। इस तरह से समय सीमा को लेकर आयोग की व्यवस्था में कमियों की तुलना में अच्छाइयाँ अधिक हैं। इस बार शनिवार को सम्पन्न हुए चुनाव ने विपरीत मौसमी परिस्थिति के बावजूद लगभग एक अरब (96 करोड़) की रिकार्ड संखया वाले मतदाताओं में दिखे उत्साह ने भारतीय लोकतंत्र को और समृद्ध कर दिया।

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