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February 7, 2025
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26 को तय होगा मोदी सरकार का भविष्य!

By Shakti Prakash Shrivastva on June 22, 2024
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                                                                                       शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

देश के सियासी इतिहास पर अगर गौर करें तो यह पता चलेगा कि मौजूदा मोदी सरकार जैसी गठबंधन सरकार का भविष्य किन-किन बिंदुओं पर निर्भर करता है। अमूमन ऐसी सरकारों का प्रयास होता है कि किसी तरह विपक्षी खेमे के किसी दल में खरीद-फरोख्त या छल-कपट से तोडफोड करना और उनके सांसदों को अपने साथ लाना। ऐसे में दलबदल कानून के जरिए ही ऐसे प्रयासों को रोका जाता है और इस रोकने के प्रयास में स्पीकर यानि लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका अहम होती है। इन परिस्थितियों में जहां केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार का प्रयास होता है कि स्पीकर उसके गुड़बुक का हो अपना हो वहीं विपक्षियों की कोशिश रहती है कि स्पीकर सत्ताधारी घटक दल का ऐसा हो जो समय पर विपक्ष का सहयोगी साबित हो। जैसे एक बार अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी सरकार में स्पीकर उनके सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी का था और उसके सहयोग और पार्टी के असहयोग के चलते अटल जी की सरकार अधोगति को प्राप्त हो गई थी। इस बार एक बार फिर केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी नीत गठबंधन सरकार में तेलुगु देशम पार्टी सहयोगी पार्टी है। लेकिन स्थितियाँ फिलहाल पिछले बार की तरह नहीं है। फिर भी विपक्षियों की ललकार और सहयोगी दलों की दिली चाहत होगी कि स्पीकर उनका हो लेकिन बीजेपी ऐसी किसी भी संभावनाओं को शून्य करने की कोशिश करेगी। मिली जानकारी की मुताबिक ऐसी परिस्थितियों में 26 जून को लोकसभा में स्पीकर का चुनाव होना है और इसी दिन यह भी तय हो जाएगा कि बीजेपी शासित इस गठबंधन सरकार की उम्र कितनी होगी।

जिस तरह लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद उपजे सियासी हालात में बीजेपी न केवल सरकार बनाने में सफल रही बल्कि सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर अपने पुराने मंत्रियों को ही यथावत बनाए रखने में भी कामयाब रही उसे पार्टी की महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता मानी जा सकती है। अगर बीजेपी इसी क्रम में 26 जून को होने वाले स्पीकर पद के चयन में भी अपना मनपसंद स्पीकर बनवाने में सफल रहती है तो यह माना जा सकता है कि बीजेपी सरकार अपना पूरा कार्यकाल सफलतापूर्वक बिता लेगी। क्योंकि विगत वर्षों में महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना में मची तोडफोड में स्पीकर की अहमियत का अंदाजा सियासी लोगों को बखूबी हो गया है। ऐसे में विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस की पैनी निगाह स्पीकर चयन प्रक्रिया पर है। वो चाहती है कि किसी तरह से स्पीकर का पद बीजेपी के सहयोगी दल के पास चला जाए। जिससे कम से कम बीजेपी के पुराने चरित्र को देखते हुए तोडफोड की संभावित कार्रवाइयों से विपक्षी दल सुरक्षित हो जाए। यही वजह है कि जैसे ही बीजेपी ने 24 जून से प्रस्तावित संसद के सत्र के लिए उड़ीसा से पार्टी सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया कांग्रेस ने हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह संसदीय परंपरा के खिलाफ है। परंपरा के अनुसार सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। उनकी मुताबिक 18वीं लोकसभा में कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश और वीरेंद्र कुमार (बीजेपी) दोनों ही अपना आठवां कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। वीरेंद्र कुमार चूंकि सरकार में मंत्री बन गए हैं लिहाजा कांग्रेस के के. सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए। प्रोटम स्पीकर की जिम्मेदारी स्थायी स्पीकर चुने जाने तक की होती है।

 

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