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April 28, 2024
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अतीक के चलते संकट में एक CBI अफसर !

By Shakti Prakash Shrivastva on May 12, 2023
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प्रयागराज और उसके आस-पास के इलाकों का कुख्यात माफिया डान अतीक अहमद जब तक जिंदा रहा तब तक दूसरे के लिए संकट बना रहा। अब जब दुनिया में नही रहा तब भी कइयो के लिए संकट का सबब बना हुआ है। पिछले दिनों उसकी और उसके माफिया भाई अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज में हत्या हो गई थी। हत्या के बाद भी अतीक से जुड़े कई मसायल ऐसे है जिन्होने कइयों के सामने संकट खड़ी कर दी है। इसी तरह उपजे संकट का नया मामला CBI यानि केंद्रीय जांच एजेंसी से जुड़ा हुआ है। इसके एक अधिकारी डिप्टी एस पी स्तर के ऐसे थे जो अतीक के खासे मददगार थे। उनके लिए इन दिनों संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि उन्होने अतीक अहमद के लिए उमेश पाल मामले में झूठी गवाही दी थी। CBI अफसर का नाम अमित कुमार है। अमित ने उमेश पाल अपहरण मामले में  एमपीएमएलए कोर्ट में अतीक के लिए झूठ बोला था। अमित ने उमेश पाल अपहरण को झूठा साबित करते हुए कोर्ट के सामने कहा था कि ऐसा कुछ हुआ ही नही। यही झूठ अमित के लिए संकट का सबब साबित हो रहा है। इस मामले की शिकायत जब अभियोजन ने प्रदेश सरकार से की तो इस संदर्भ में गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी गई। अब इस मामले की जांच शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले CBI के कुछ अफसरों ने एमपीएमएलए कोर्ट में आकर पूरी संबन्धित पत्रावलियों की जांच पड़ताल की। अब इन्ही पत्रवालियों के आधार पर डिप्टी एसपी अमित कुमार और अतीक के बीच संबंधों की जांच शुरू हुई है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील वैश्य ने डीएम को CBI के डिप्टी एसपी अमित कुमार के बारे में शिकायत भेजी थी कि अमित कुमार ने अतीक के पक्ष में विधि विरुद्ध गवाही दी थी। इसी आधार पर बाद में अतीक को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई। शासन को जब इस संदर्भ में पत्र पहुंचा तो गृह मंत्रालय को पूरी रिपोर्ट सौंपी गई। इसी के बाद जांच शुरू हुई।

CBI अधिकारियों द्वारा किए जा रहे जांच में इस बात की पड़ताल प्राथमिकता पर की जा रही है कि माफिया अतीक और CBI अफसर अमित के बीच कैसे संबंध थे। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि आखिर अमित कुमार ने किस आधार पर अतीक के पक्ष में गवाही दी और क्यों दी। अमित ने कोर्ट में यह कहा था कि उमेश पाल का अपहरण हुआ ही नहीं था। कोर्ट ने अमित की दलील इस वजह से अस्वीकार कर दी थी क्योंकि सीधे तौर पर कहीं भी अमित जांच प्रक्रिया के अहम हिस्सा नहीं थे। वो सिर्फ राजू पाल हत्याकांड की विवेचना से जुड़े हुए थे। उनका उमेश पाल प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं था। अमित का अपना ही बयान उसके लिए अब रोड़ा बन गया है। उसी का विभाग इन दिनों उसके जड़ें खंगाल रहा है। क्योंकि किसी विश्वसनीय जांच एजेंसी के ऊपर इस तरह का आरोप न केवल उसकी कार्य संस्कृति पर असर डालता है बल्कि उसकी साख को भी बट्टा लगाता है।

 

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