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कम्हरियाघाट पुल का लोकार्पण : जलसत्याग्रह से सपना हुआ साकार, पुलिस के सामने धारा में कूद गए थे सत्याग्रही

By Shakti Prakash Shrivastva on August 18, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

आखिरकार जिस पक्के पुल के निर्माण की मांग के लिए दशकों तक चले सत्याग्रह और जलसत्याग्रह का परिणाम ये रहा कि आज 18 अगस्त दिन गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों उस बहुप्रतीक्षित कम्हरियाघाट पुल का लोकार्पण हो गया। मुझे वह दृश्य भुलाये नही भूलता जब मेरी नंगी आँखों के सामने देखते-देखते कम्हरियाघाट पर पक्का पुल निर्माण की मांग को लेकर आन्दोलनरत सत्याग्रही सरयू की उफनती जलधारा में कूद गए। शुक्र था कि भारी भरकम मौजूद पुलिसबल और एनडीआरएफ़ के बचाव दल ने भी उतनी ही फुर्ती दिखाई और चंद मिनटों में सभी सत्याग्रहियों को सकुशल रिकवर कर लिया। लेकिन इस बीच के चंद मिनट घंटों को मात दे रहे थे। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सत्याग्रही सत्यवन्त प्रताप सिंह की विह्वल माँ का सरयू की वेगवती धारा में सरयू मैया से पुत्र की सलामती के लिए गुहार लगाते करूण क्रंदन का सीन भी हर मौजूद लोगों को द्रवित कर रही थी। इस दौरान आक्रोश में आंदोलनकारी उग्र हो गए और देखते-देखते पुलिस और आंदोलनकारियों में जमकर मारपीट हुई। पुलिस ने लाठी चार्ज किया। बाद में 24 ज्ञात और 250 अज्ञात आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। वो दिन था 24 अप्रैल 2013 का। हालांकि जलसत्याग्रह से जलसमाधि तक नाम से आंदोलन तो 15 अप्रैल से शुरू हो गया था लेकिन मौजूद हालात की गंभीरता के प्रति उदासीन जिला प्रशासन के चलते महज दस दिन में ही हालात ने भयावह रूप ले लिया। देर से चेता प्रशासन ने फौरी कवायद की और ऊपर वाले का शुक्र रहा कि बड़ी अनहोनी होते-होते बच गई। मामला तब तक राज्य से लेकर केंद्र तक के आला हाकिमों तक पहुँच चुकी थी। तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी इस पूरे प्रकरण पर प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए इसके  अंजाम के लिए तैयार रहने की चुनौती दे दी थी। असर ये हुआ कि आनन-फानन में संबंधित विभाग की टीम ने मौके का दौरा किया और वो दिन भी आया जब 2014 में पुल का निर्माण शुरू हो गया। हालांकि चंद महीने बाद ही सरकार की उदासीनता के चलते धनाभाव में निर्माण कार्य रुक गया। लेकिन जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो फिर से काम शुरू हुआ और जून 2022 आते-आते पक्के पुल का निर्माण पूरा हो गया। सरयू नदी का विशाल बाढ़ क्षेत्र होने के नाते अरसे तक जिले का यह दक्षिणाञ्चल विकास की नजर से दूर रहा। 2000 में भिखारी प्रजापति, विनय शाही और गोवर्धनचंद जैसे इलाकाइयों ने नदी पर पुल की मांग करते हुए आंदोलन का अलख जगाया। परिणाम ये हुआ कि नदी पर एक पीपे का पुल बन गया। फिर 2013 आते–आते सर्वहित क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवन्त प्रताप सिंह की अगुवाई में आंदोलन ने रफ्तार पकड़ी और पुल के रूप में परिणाम आज सबके सामने है। लगभग 194 करोड़ रुपये की लागत से 1412.31 मीटर लंबे इस कम्हरियाघाट पुल (सिकरीगंज-बेलघाट-लोहरईया-शंकरपुर-बाघाड़) का निर्माण यूपी ब्रिज कार्पोरेशन ने किया है। इस पुल के बन जाने से अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, जौनपुर, अयोध्या, संतकबीरनगर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों के लिए भी गोरखपुर से बेहतर कनेक्टिविटी हो जाएगी। पुल की वजह से लगभग पाँच सौ गांवों के बीसियों लाख की आबादी को लाभ मिलेगा।

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