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पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसवे : लिखेगा पिछड़े पूर्वाञ्चल के विकास की नयी इबारत

By Shakti Prakash Shrivastva on November 7, 2021
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

पूर्वाञ्चल के पिछड़ापन और उससे उपजी विपन्नता का दंश लगभग तीन दशकों तक देख चुके और महसूस कर चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की परिकल्पना यूं ही नहीं की। उन्हे इस बात का बेहतर एहसास था कि पूर्वाञ्चल के अति पिछड़े इलाके में अगर समृद्धि लानी है तो सबसे पहले इस इलाके को देश-प्रदेश के अन्य हिस्सों से तीव्रगामी कनेक्टिविटी देनी होगी। इसी क्रम में सिक्स लेन वाली पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, गोरखपुर एयरपोर्ट का विस्तारीकरण और कुशीनगर में इन्टरनेशनल एयरपोर्ट की नींव रखी गयी। आज गोरखपुर एयरपोर्ट का विस्तारीकरण और कुशीनगर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट का शुभारंभ हो चुका है। बारी है पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसवे और लिंक एक्सप्रेसवे की। इसमें पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसवे का भी शुभारंभ 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथो होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देख-रेख में उनके इस ड्रीम एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का जो स्वरूप निर्धारित किया गया है। उसे देखकर लगता है कि यह एक्सप्रेसवे न केवल पूर्वाञ्चल को प्रदेश और देश की राजधानी से जोड़ेगा बल्कि इसके अगल-बगल स्थापित होने वाले औद्योगिक गलियारों की वजह से रोजगार सृजन सहित इलाकाई विकास की एक नयी इबारत भी लिखेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उद्घाटित होने के बाद 16 नवंबर से लखनऊ, आजमगढ़ और मऊ होते हुए गाजीपुर तक 340.824 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे पर वाहन फर्राटे भरने लगेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का शिलान्यास जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आजमगढ़ में किया गया था।

लखनऊ में सुल्तानपुर रोड (एनएच-731) पर स्थित ग्राम चांद सराय (लखनऊ) से प्रारंभ होकर यह एक्सप्रेसवे यूपी-बिहार सीमा से 18 किमी पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 पर स्थित ग्राम हैदरिया पर समाप्त होगा। वर्तमान में एक्सप्रेस-वे छह लेन चौड़ा है, जिसे आठ लेन तक विस्तार दिया जा सकता है। सभी संरचनाएं इसी हिसाब से तैयार की गई हैं। एक्सप्रेस-वे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी बनाई गई है। इससे परियोजना के आसपास के गांव के निवासियों को एक्सप्रेस-वे पर सुगम आवागमन की सुविधा उपलब्ध है। इस एक्सप्रेस-वे के अंतगर्ज मेन कैरिज-वे पर कुल 18 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 बड़े पुल, 118 छोटे पुल, 6 टोल प्लाजा, 5 रैंप प्लाजा, 271 अंडरपास निर्मित किए गए हैं। लड़ाकू विमानों के उतरने और उड़ान के लिए सुल्तानपुर में 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी का निर्माण भी किया गया है। परियोजना की कुल लागत 22494.66 करोड़ रुपये और सिविल निर्माण की लागत 11216.10 करोड़ रुपये है। एक्सप्रेस-वे से न केवल ईंधन और समय की बचत की बचत होगी बल्कि प्रदूषण भी नियंत्रित होगा और दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी। इसके दोनों किनारों पर पांच स्थानों पर इंडस्ट्रियल हब विकसित करने की योजना है। जिससे भंडारगृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही क्षेत्र में पर्यटन का भी विकास होगा। पूर्वाञ्चल के अति पिछड़े इलाके में चौतरफा विकास की संभावनाए जगाने वाले इस एक्सप्रेस-वे को पूर्वी यूपी के लिए लाइफलाइन कहा जा रहा है।

 

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