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झाड़ू बाबा.. सुनकर अच्छा लगता है-महेश शुक्ल

By Shakti Prakash Shrivastva on October 2, 2024
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दुर्गेश श्रीवास्तव

देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील स्थित खजूहा गाँव के मूल निवासी महेश शुक्ला वर्तमान में महानगर के उत्तरी क्षेत्र स्थित शास्त्री नगर में रहते है। कंप्यूटर का व्यवसाय उनकी आजीविका का साधन है। लेकिन आज से लगभग डेढ़ दशक पहले एक छोटे से वाकये और पत्नी से मिली टिप्पणी ने उन्हे महेश शुक्ला से झाड़ू बाबा बना दिया।

जयपुर जा रहा था, ट्रेन में एक सहयात्री किताब पढ़ रहे थे, किताब गांधीजी से संबंधित थी, मै और मेरी पत्नी ने भी पढ़ा, पत्नी ने कहा कि आप मुहल्ले में गंदगी को लेकर लड़ते हैं देखिए गांधीजी गंदगी को स्वयं साफ करते थे। वापस आने के बाद मै पहले घर के सामने फिर अगल बगल के दरवाजे साफ करने लगा, रात में चार बजे उठ कर सफाई करता था। दसियों साल तक यह प्रक्रिया चलता रहा। योगा दिवस पर रामगढ़ ताल आया वहा गंदगी देख मेरे मन में यहाँ की सफाई करने की सूझी। फिर क्या था मै वहाँ जाने लगा। अब मै वहा सफाई करता हूँ और बच्चे मार्निंग वाक। सफाई करने के लिए महेश जी बाकायदा ड्रेसकोड फालों करते हैं। उनकी कार में उनका यह ड्रेस रखा रहता है। सफाई के वक्त महेश जी कभी ड्रेस पहनना नहीं भूलते। उनका मानना है कि किसी काम के लिए काम के अनुरूप ड्रेस जरूरी है। इसलिए मै ऐसा करता हूँ। उनके सफाई के इस जुनूनी कार्य के लिए अब तक कई सम्मान प्राप्त हो चुके है। पिछले वर्ष उन्हे दो अक्टूबर को शिमला में हिमाचल प्रदेश के महामहिम शिव प्रताप शुक्ल द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया था। काम के दौरान कभी-कभी रात या अलसुबह कुछ लोग सफाईकर्मी समझ कर कुछ कमेन्ट भी करते हैं लेकिन ऐसी प्रतिक्रियाओं का उनके ऊपर कोई खास असर नहीं पड़ता है। इस कार्य से मिली शोहरत के बावजूद उनका  राजनीति में जाने की कोई इच्छा नहीं है।

शहर के स्थापित रंगकर्मी श्रीनारायण पाण्डेय का मअनाना है कि आत्मकेंद्रित होते मौजूदा समाज में भी अगर वो ऐसा प्रयास कर रहे है तो वो काबिलेतारीफ है। इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इनका प्रयास निःस्वार्थ है भी और लगता भी है। अमूमन ऐसा समाज सरोकारी कार्य लोग किसी स्वार्थवश सोसाइटी आदि के माध्यम से करते है लेकिन सफाई का जुनून पाले श्री शुक्ल इसे अपने जीवन से जोड़ चुके है। शहर से बाहर होने की स्थिति में भी समय से सफाई का कार्य कर लेते हैं।

गोरखपुर में संगीत को समर्पित संस्था स्वर सागर की मुखिया और प्रतिष्ठित संस्कृतिकर्मी सुनीशा श्रीवास्तव भी मानती है कि महेश जी अच्छा काम कर रहे है। इनके काम की जितनी तारीफ की जाए कम है। क्योंकि ऐसे समय में जब आज का युवा देर सुबह तक बिस्तर पर पड़ा रहता है वहीं झाड़ू बाबा जैसी शख्सियत अल सुबह सफाई कार्य को अंजाम दे वापस घर पहुँच जाते हैं। एक अच्छे परिवार से ताल्लूक रखने वाले झाड़ू बाबा से आज के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

 

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